संस्कृत सप्ताह में हुई वेदों के महत्व पर चर्चा
संवाद सहयोगी, पलवल : सरस्वती महिला कॉलेज में संस्कृत सप्ताह का बुधवार को शुभारंभ हो गया। कार्यक्रम क
संवाद सहयोगी, पलवल : सरस्वती महिला कॉलेज में संस्कृत सप्ताह का बुधवार को शुभारंभ हो गया। कार्यक्रम के पहले दिन वेदों के महत्व पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का उद्घाटन कार्यकारी प्राचार्या डॉ. शशी शर्मा ने किया। उन्होंने कहा कि वेद विश्व के किसी भी पुस्तकालय की पहली पुस्तक है। वेद परमात्मा की वाणी है। परमात्मा ने चार ऋषियों आदित्य, अंगिरा, अग्नि व वायु के हृदय में ज्ञान का प्रकाश किया। वेदों को श्रुति भी कहते हैं। ऋग्वेद ज्ञान का वेद है तथा इसमें 10,552 मंत्र हैं। यजुर्वेद कर्म का वेद है तथा इसमें 1,975 मंत्र हैं। सामवेद उपासना का मंत्र है तथा इसमें 1,875 मंत्र हैं। अथर्ववेद विज्ञान का वेद है तथा इसमें 5,977 मंत्र हैं।
संगोष्ठी में रेखा यदुवंशी ने यजुर्वेद, पूनम ने ऋग्वेद, ममता ने सामवेद व रेखा सैन ने अथर्ववेद पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वेद सबसे प्राचीन ज्ञान है तथा सुखमय जीवन जीने की कला सिखाता है। हमें वेद की शिक्षाओं पर चलना चाहिए। वेदों के मंत्रों पर प्रकाश डालते हुए वर्षा कौशिक ने कहा कि अथर्ववेद में कहा गया है कि प्रत्येक मनुष्य का जीवन सौ साल तक का हो। नेहा ने यजुर्वेद के मंत्र की व्याख्या करते हुए कहा कि सभी के मन समान व कल्याणकारी हों तथा निश्चय वाले हों। कंचन ने ऋग्वेद के एक मंत्र का अर्थ करते हुए बताया कि अकेला खाने वाला पाप का भागी होता है। निर्मल ने सामवेद पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में पूजा, प्रिया, कोमल, कीर्ति, ज्योति, अर्चना, ने भी विचार रखे। उन्होंने छात्राओं से वेद मार्ग पर चलने की अपील की तथा वेद पढ़ने को कहा। कार्यक्रम में डॉ. अनीता कौशिक, डॉ. प्रोमिला भारद्वाज, श्रुति भी मौजूद थीं।