प्रेम का आदर्श प्रस्तुत करता जन्माष्टमी पर्व : ज्ञानानंद
संवाद सहयोगी, पिहोवा : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विभिन्न मंदिरों एवं आश्रमों में श्रद्धाभाव से मनाई गई। म
संवाद सहयोगी, पिहोवा : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विभिन्न मंदिरों एवं आश्रमों में श्रद्धाभाव से मनाई गई। मंदिर परिसर में लड्डू गोपाल जी के लिए झूला डाला गया, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण जी के नन्हें स्वरूप को स्थापित कर उन्हें झूला झुलाया गया। मां सरस्वती युवा संगठन और श्रीकृष्ण कृपा समिति संस्थापक स्वामी ज्ञानानंद के नेतृत्व मां सरस्वती के तट पर भजन संध्या का आयोजन किया गया। उन्होंने प्रवचन करते हुए कहा कि जन्माष्टमी का पर्व विश्व के सामने प्रेम भावना का आदर्श प्रस्तुत करता है। भगवान श्रीकृष्ण ने ऊंच-नीच के भेदभाव को कभी नहीं माना और हर रिश्ते की मर्यादा का पालन किया चाहे वो इनके मित्र सुदामा हो या अर्जुन, गोपिया हो या राधा। भगवान श्रीकृष्ण ने सदा धर्म का पालन व रक्षा की। उन्होंने कहा कि गाय की सेवा करने से पारिवारिक शांति, मानसिक शांति और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। गाय हमारी संस्कृति है और हमारी संस्कृति का आधार है। गोसेवा करने से हमारे सभी कष्ट व बाधाएं तो दूर होती ही है और लोक और परलोक भी सुधर जाता है। स्वामी जी ने बताया कि गो माता की गाथा हमारे वेदों और पुराणों में भी अंकित है। आज भी कई घरों में पहली रोटी गाय के नाम से निकाली जाती हैए जो लोगों में गाय माता के प्रति श्रद्धा का भाव दर्शाती है। इस अवसर पर हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के चेयरमैन भारत भूषण भारती, एसडीएम डॉ. किरण ¨सह, पराग धवन, राजेश गर्ग, समाजसेवी पवन चक्रपाणि, आशीष चक्रपाणि, कैलाश भगत उपस्थित थे। श्रीकृष्ण कृपा मंदिर की ओर से हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी भव्य शोभा यात्रा नगर में आयोजित की गई। शोभा यात्रा सरस्वती तीर्थ से लेकर विभिन्न मार्गों से होती हुई श्री कृष्ण कृपा मंदिर तक पहुंची। जहां पर भजन कीर्तन कर भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का गुणगान किया गया। शोभा यात्रा दौरान नगरी राधे राधे और श्री कृष्ण के जयकारों से गूंज उठी। विभिन्न सेवा समीतियों द्वारा श्रद्धालुओं के लिए जलपान की व्यवस्था भी की गई। शोभा यात्रा में राधें कृष्ण व अन्य झांकियों ने सबका मन मोह लिया।