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अब जींद में चंदे पर जाट आरक्षण संघर्ष समिति में रार

जींद में भी जाट आरक्षण संघर्ष समिति के चंदे को लेकर विवाद हो गया है। समिति के जींद अध्यक्ष ने मलिक व बल्हारा पर लाखों रुपये हड़पने के षड्यंत्र का आरोप लगाया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sat, 24 Jun 2017 01:05 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jun 2017 01:06 PM (IST)
अब जींद में चंदे पर जाट आरक्षण संघर्ष समिति में रार
अब जींद में चंदे पर जाट आरक्षण संघर्ष समिति में रार

जेएनएन, जींद। अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति की तरफ से जींद के ईक्कस गांव में हुए धरने के लिए एकत्र किया गया चंदा भी विवाद के घेरे में है। समिति के जिला अध्यक्ष वीरभान ढुल और खापों ने आरोप लगाया है कि समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक और महासचिव अशोक बल्हारा चंदे को हड़पने की साजिश रच रहे हैं। शुुक्रवार को इसी मुद्दे पर दोनों धड़ों की अलग-अलग बैठक हुई।

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मलिक गुट के लोगों की बैठक रानी तालाब के पास एक होटल में हुई, जबकि खाप नेताओं की मीङ्क्षटग जाट धर्मशाला में हुई। खाप नेताओं ने कहा कि ईक्कस में धरने के दौरान जो चंदा जमा हुआ था, वह आरक्षण आंदोलन के लिए था। आरक्षण अभी तक मिला नहीं है, इसलिए चंदे को आगामी आंदोलनों के लिए समिति के खाते में रखा जाना चाहिए।

समिति के जिला अध्यक्ष वीरभान ढुल ने कहा कि ईक्कस धरने के दौरान जमा हुए 37 लाख 85 हजार 522 रुपये समिति के कैशियर पर पास थे। कुछ दिन पहले यशपाल मलिक के इशारे पर बैंक में जाट सेवा संघ के नाम से खाता खुलवाकर उसमें यह राशि जमा करवा दी गई। ढुल ने आरोप लगाया कि संघ के नाम पर राशि जमा करवाकर उसे रोहतक में खुलने वाले कोङ्क्षचग सेंटर में लगाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है। वहीं, दूसरे गुट के कैप्टन रणधीर चहल ने कहा कि तीन लोगों की ज्वाइंट कमेटी बनाकर बैंक में पैसा जमा करवाया गया है। यह राशि जींद में ही है और कहीं नहीं भेजी गई है। समाज के कहने पर ही इस राशि को खर्च किया जाएगा।

हमसे पैसे का कोई लेना-देना नहीं: यशपाल मलिक

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा कि जींद की जिला कार्यकारिणी ने लोकल संगठन बनाया है, उसके पास पैसा है। इस पैसे का हमारे से कोई लेना-देना नहीं है। यह कार्यकारिणी की मर्जी है कि वह इस पैसे को कहां खर्च करे। समिति ने इतना कहा था कि कोचिंग सेंटर के लिए कोई पैसा देना चाहता है तो दे सकता है। हिरियाणा के 22 जिलों में से केवल 7-8 जिलों के पास पैसा आया था। यह जिलों की कमेटी के पास ही है। जींद की कमेटी ने फैसला लिया था कि वे अपने पास पैसा रखेंगे। इसलिए उन्होंने इसे बैंक में जमा करवा दिया।

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