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हरियाणा सरकार संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता लाने का कर रही हैं भरसक प्रयास . सोमेश्वर दत

जागरण संवाददाता, भिवानी: हरियाणा सरकार संस्कृत भाषा के प्रति आम जनता में जागरूकता लाने के

By JagranEdited By: Published: Fri, 10 Nov 2017 06:31 PM (IST)Updated: Fri, 10 Nov 2017 06:31 PM (IST)
हरियाणा सरकार संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता लाने का कर रही हैं भरसक प्रयास . सोमेश्वर दत
हरियाणा सरकार संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता लाने का कर रही हैं भरसक प्रयास . सोमेश्वर दत

जागरण संवाददाता, भिवानी: हरियाणा सरकार संस्कृत भाषा के प्रति आम जनता में जागरूकता लाने के लिए भरसक प्रयास कर रही हैं। संस्कृत को अधिक से अधिक रोजगारपरक बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। संस्कृत को किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं रहने दिया जाएगा। ये विचार हरियाणा संस्कृत अकादमी के निदेशक डा. सोमेश्वर दत शर्मा ने स्थानीय गौशाला मार्केट रोड स्थित सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय में छात्रवृति वितरण समारोह के उपलक्ष्य में संस्कृत भाषा के प्रति जागरूकता संगोष्ठि में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि संस्कृत को अधिक से अधिक रोजगार से जोड़ने की आवश्यकता हैं। समारोह के विशिष्ट अतिथि पूर्व एचसीएस अधिकारी प्रहलाद ¨सह ने कहा कि हरियाणा में भी संस्कृत को उतराखंड की तरह दूसरी भाषा का दर्जा देने से ही संस्कृत का विकास तेजी से हो पाएगा। इसके लिए सभी संस्कृत प्रेमियों को एकजुट होकर सरकार से मांग करनी चाहिए । उन्होंने कहा कि संस्कृत पूरी तरह से वैज्ञानिक एवं कम्प्यूटर पर आधारित है। संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार एक तरफ विदेशों में तो बढ़ रहा हैं लेकिन अपने भारत में इसका प्रचार दिनो-दिन कम होता जा रहा है। देव भाषा संस्कृत की गूंज कुछ वर्ष पश्चात अंतरिक्ष में सुनाई देगी। इसके वैज्ञानिक पहलू जानकर अमेरिका नासा की भाषा बनाने की कसरत में जुटा हुआ है। इस प्रोजेक्ट पर भारतीय संस्कृत विद्वानों के इन्कार के पश्चात अमेरिका अपनी नई पीढ़ी को इस भाषा में पारंगत करने में जूट गया है। संस्कृत एक ऐसी प्राकृतिक भाषा हैं जिसमें सूत्र के रूप में कंप्यूटर के जरिए कोई भी संदेश कम से कम शब्दों में भेजा जा सकता हैं। संस्कृत प्राचीन काल में देव भाषा होने के साथ साथ जन भाषा भी थी, लेकिन इस समय तो संस्कृत अपने निम्नतर स्तर पर आई हुई है। इसको इसके वास्तविक सम्मान दिए जाने की आवश्यकता हैं। समारोह के मुख्य वक्ता आचार्य रमेश मिश्र ने कहा कि संस्कृत को जन उपयोगी बनाने के लिए इसका अधिकतम प्रयोग कम्प्यूटर के लिए करने पर शोध करना पडे़गा। यह देव भाषा होने के साथ साथ जन भाषा भी बनाई जानी चाहिए। संस्कृत संस्कारों की भाषा है। अभिभावकों को अपने बच्चों में अच्छे संस्कार देने चाहिए । संस्कृत में बात करने से व्यक्ति स्वस्थ और बीपी, मधुमेह, कोलेस्टाल आदि रोग से मुक्त हो जाता हैं। संस्कृत में बात करने से मानव शरीर का तंत्रिका तंत्र सक्रिय हो जाता है। आज संस्कृत को बचाने के लिए सभी संस्कृत प्रेमियों को एकजुट होकर कार्य करना होगा। प्राचार्य विनय मिश्र ने कहा कि आज संस्कृत भाषा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। शास्त्री प्रथम वर्ष व द्वितीय वर्ष की छात्राएं पूजा, नीकिता, विजेता, मंजीता, आरती, सुनीता ने हरियाणवी गीतों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। समारोह में रमेश शास्त्री द्वारा टीका की गई पुस्तक हरियाणा वैभव का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर विनोद शर्मा धिराणियां, शिवनारायण शास्त्री खरकियां, गिरधारी लाल, प्रेम ¨सह, सुरेन्द्र ¨सह, सुशील शास्त्री, पुनीत जांगड़ा, विकास वशिष्ठ, सन्दीप ¨सह, राजेश कुमार, समरजीत, अनिल कुमार, रत्नभारद्वाज, मनोज केजड़ीवाल, सोमदत धनानियां उपस्थित थे।


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