फैशन में भी बढ़ रहा आर्गेनिक टच
अब लोग अनुवांशिक रूप से संशोधित किए गए बीजों से तैयार इकोफ्रेंडली कपड़े पहनना पसंद कर रहे हैं। कुछ लोग इसे फैशन के नए ट्रेंड की तरह ले रहे हैं।
स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे लोगों में अब पहनावे को लेकर भी एक नई सोच विकसित हुई है। ऐसे में एक बड़ा वर्ग अब गहरे रंग व केमिकली ट्रीट किए हुए फैब्रिक से बने कपड़ों की बजाए हैंडमेड कॉटन, बांस की छाल से बने फैब्रिक, बिना अनुवांशिक रूप से संशोधित किए गए बीजों से तैयार इकोफ्रेंडली कपड़े पहनना पसंद कर रहा है। कुछ लोग इसे फैशन के नए ट्रेंड की तरह ले रहे हैं।
पर्यावरण सुरक्षा भी ध्येय : आर्गेनिक फैशन से प्रदूषण पर भी नियंत्रण लग रहा है। दिल्ली की आर्गेनिक फैशन स्टोर संचालक ममता के मुताबिक टेक्सटाइल डाइंग प्रक्रिया से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ रहा है। ऐसे में डिजाइनर्स अब इस समस्या के समाधान के तौर पर आर्गेनिक रंगों को प्रयोग में ला रहे हैं। हर्बल चीजों से बने वस्त्र शहरी लोगों के लिए नई चीज हैं और लोग तेजी से इसे अपना रहे हैं। क्या हैं
आर्गेनिक क्लॉथ : आर्गेनिक या हर्बल फैशन लाइन में कार्बनिक कॉटन, बैंबू फैब्रिक, हाथ से बुनी खादी आदि का उपयोग किया जाता है। इसमें रंग भी प्राकृतिक तत्वों से निकाले जाते हैं। यह वस्त्र त्वचा पर किसी प्रकार की एलर्जी नहीं करते व गर्मियों में यह वस्त्र स्वास्थ्य के लिए वरदान साबित होते हैं। इस बारे में दिल्ली की डिजाइनर अंकिता का कहना है कि आर्गेनिक फैशन बाजार ने जबरदस्त गति पकड़ी है और बड़े शहरों में लोग इस फैशन को हाथोंहाथ ले रहे हैं।
लोगों में आई जागरूकता : लोग इन कपड़ों को आराम के साथ-साथ पर्यावरण से भी जोड़कर देखते हैं। ऐसे में फैशन बाजार के साथ-साथ लोग भी पर्यावरण संरक्षण की मुहिम में शामिल हो गए हैं। डिजाइन नीता के मुताबिक अब लोग थोड़ा अधिक पैसे खर्च करने में गुरेज नहीं करते क्योंकि वे आने वाले समय में पर्यावरण के खतरे को टालना चाहते हैं।
सॉफ्ट व आरामदायक होने की वजह से लोगों को यह पसंद आ रहा है। इसके अलावा लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता आई है। अब लोग इस तरह के फैशन को तरजीह दे रहे हैं। दिल्ली एनसीआर में इसकी मांग बढ़ी है। ममता गुप्ता, फैशन स्टोर संचालक, बजरिया दुकान, दिल्ली
आर्गेनिक प्रोसेस (प्रक्रिया) स्लो होती हैं लेकिन प्रकृति के लिए अच्छी होती हैं। आर्गेनिक फैब्रिक को लेकर डिजाइनर्स से लेकर उपभोक्ता तक में जागरूकता आई है। यह एक साकारात्मक बदलाव है। फैशन जगत इसे बहुत सपोर्ट कर रहा है। इसकी प्रक्रिया बेहद धीमी है ऐसे में यह महंगा है लेकिन लोग इसे सराह रहे हैं। आर्गेनिर्क प्रिंट भारतीय संस्कृति में बहुत समय से चले आ रहे हैं। मैं इसे उपयोग में लाना पसंद करती हूं। अंकिता, डिजाइनर साज बाय अंकिता, दिल्ली
- प्रियंका दुबे मेहता, गुरुग्राम
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