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फिल्म रिव्यू- 'सनम तेरी कसम', रोमांस और रिश्तों का घालमेल

राधिका राव और विनय सप्रू की ‘सनम तेरी कसम’ रोमांस के साथ संबंधों की भी कहानी है। फिल्म की लीड जोड़ी हर्षवर्द्धन राणे और मावरा होकेन की यह लांचिंग फिल्म है। ‘सनम तेरी कसम’ प्रेम, भावना, पारिवारिक संबंध(‍बाप-बेटी, बाप-बेटा, बहनें) और समर्पण में दुविधाओं की भी कहानी है।

By Tilak RajEdited By: Published: Fri, 05 Feb 2016 10:09 AM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2016 03:09 PM (IST)
फिल्म रिव्यू- 'सनम तेरी कसम', रोमांस और रिश्तों का घालमेल

-अजय ब्रह्मात्मज

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प्रमुख कलाकार- हर्षवर्द्धन राणे, मावरा होकेन और मनीष चौधरी
निर्देशक- राधिका राव और विनय सप्रू
संगीत निर्देशक- हिमेश रेशमिया
स्टार- 2 स्टार

राधिका राव और विनय सप्रू की ‘सनम तेरी कसम’ रोमांस के साथ संबंधों की भी कहानी है। फिल्म की लीड जोड़ी हर्षवर्द्धन राणे और मावरा होकेन की यह लांचिंग फिल्म है। पूरी कोशिश है कि दोनों को परफारमेंस और अपनी खूबियां दिखाने के मौके मिलें। लेखक-निर्देशक ने इस जरूरत के मद्देनजर फिल्म के अपने प्रवाह को बार-बार मोड़ा है। इसकी वजह से फिल्म का अंतिम प्रभाव दोनों नए कलाकारों को तरजीह तो देती है, लेकिन फिल्म असरदार नहीं रह जाती।

फिल्म फ्लैशबैक से आरंभ होती है। नायक इंदर (हर्षवर्द्धन राणे) को अपने जीवन की घटनाएं याद आती हैं। फ्लैशबैक में इंदर के जीवन में प्रवेश करने के साथ ही हम अन्य किरदारों से भी मिलते हैं। जिस अपार्टमेंट में पार्थसारथी परिवार पहले से रहता है, वहीं इंदर रहने आ जाता है। इंदर की अलग जीवन शैली है। पार्थसारथी परिवार के मुखिया जयराम की पहली भिड़ंत ही सही नहीं रहती। वे उससे नफरत करते हैं। हिंदी फिल्मों की परिपाटी के मुताबिक यहीं तय हो जाता है कि इस नफरत में ही मोहब्ब्त पैदा होगी।

कुछ यों होता है कि जयराम की बड़ी बेटी सरस्वती(मावरा होकेन) और इंदर की मुलाकातें होती हैं। इन मुलाकातों से गलतफहमियां पैदा होती हैं। उनके बीच लगाव भी पनपता है। इस क्रम में सरस्वती का कायाकल्प हो जाता है। दूसरी तरफ अपने परिवार से उसका नाता टूट जाता है। लेखक-निर्देशक ने इंदर और सरस्वती के साथ अन्य किरदारों को भी उनके साथ जोड़ा है। वे आते हैं। कुछ दृश्यों और प्रसंगों के बाद अनुपस्थित हो जाते हैं।

‘सनम तेरी कसम’ प्रेम, भावना, पारिवारिक संबंध(बाप-बेटी, बाप-बेटा, बहनें) और समर्पण में दुविधाओं की भी कहानी है। यह दुविधा फिल्म के अंतिम दृश्यों में बढ़ जाती है। यों लगता है कि निर्देशक अंत सोच ही नहीं पा रहे हैं। थोड़ा यह और थोड़ा वह दिखाने के चक्कर में फिल्म का मर्म भी खत्म हो जाता है। ‘सनम तेरी कसम’ में अनेक पुरानी फिल्मों की झलकियां भी हैं। किरदारों को बाहरी तौर पर ही आधुनिक बनाया गया है। पहनावे और दिखावे की यह आधुनिकता तब चकनाचूर होती है, जब समझदार और बौद्धिक सरस्वती अपने पति के सरनेम के साथ मरने की ख्वाहिश जाहिर करती है।

फिल्म की खूबी दोनों नए कलाकारों की मौजूदगी है। दोनों में ताजगी है। उन्होंने दिए गए दृश्यों में बेहतर प्रदर्शन की कोशिश की है। मावरा के अभिनय में सादगी और स्वाभाविकता है। हर्षवद्धन संवाद अदायगी में कुछ कमजोर हैं। उन्होंने चलन के मुताबिक देह पर ज्यादा ध्यान दिया है। अन्य कलाकारों में मनीष चौधरी सख्त पिता के तौर पर प्रभावित करते हैं। उनके संवादों में मातृभाषा के थोड़े और संवाद होन चाहिए थे।

हिमेश रेशमिया के संगीत में मधुरता है। कुछ गाने पहले से पॉपुलर हैं। खास कर ‘तू खींच मेरी फोटो’ का फिल्मांकन बेहतर है।

अवधि- 155 मिनट

abrahmatmaj@mbi.jagran.com


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