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Happy Bollywood Day: 25 साल के हुए शाहरुख़ खान, जानिये पूरी कहानी

ये मेरी कहानी है। एक आम इंसान से ख़ास बनने की। ये मेरा सफ़र है। दिल्ली से मुंबई का। थिएटर से बॉलीवुड का। और बॉलीवुड से पूरी दुनिया पर फतह करने का।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Sun, 25 Jun 2017 01:07 PM (IST)Updated: Sun, 25 Jun 2017 01:07 PM (IST)
Happy Bollywood Day: 25 साल के हुए शाहरुख़ खान, जानिये पूरी कहानी
Happy Bollywood Day: 25 साल के हुए शाहरुख़ खान, जानिये पूरी कहानी

मुंबई। रविवार 25 जून को शाहरुख़ खान का बर्थडे तो नहीं लेकिन उनकी फिल्मी ज़िंदगी के 25 बरस होने का दिन है। आज शाहरुख़ खान का 'हैप्पी बॉलीवुड डे' है। ठीक चौथाई सदी पहले आज ही के दिन शाहरुख़ खान की पहली फिल्म दीवाना रिलीज़ हुई थी और फिर बना स्टारडम का एक इतिहास। पिछले 25 वर्षों की एक छोटी सी झलक।

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मैं शाहरुख़ खान हूं ...

ये मेरी कहानी है । एक आम इंसान से ख़ास बनने की । ये मेरा सफ़र है। दिल्ली से मुंबई का । थिएटर से बॉलीवुड का । और बॉलीवुड से पूरी दुनिया पर फतह करने का । आँखों मे सपने , दिल में जुनून और थोड़ी सी किस्मत ने आज मुझे उस मुकाम तक पहुंचा दिया है जहां तक बहुत कम ही पहुंच पाते हैं । जी हाँ ये मेरी कहानी है और मैं ..... शाहरुख खान हूँ ।

अभिनय हमेशा से मेरे खून में रहा है। पिता की अचानक मौत के बाद माँ ने मेरे इस सपने को पूरा करने मे पूरी मदद की।नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में गया और एक्टिंग गुरु बैरी जान से भी सीख ली। ये करीब 1988 की बात है जब अपना बोरिया बिस्तर बांध कर मुंबई आया । हाँ ये बात अलग है कि रेलवे प्लेटफार्म पर सोया और एक दिन चोरी से ताज होटल मे घुस कर नहा भी आया ।मुंबई मे लेख टंडन मे मेरा पहला ऑडिशन सीरियल दिल दरिया के लिए लिया था लेकिन शूटिंग के साथ पहली बार टीवी पर दिखने का मौका मुझे फौजी से मिला । फिर सर्कस और कुछ और सीरियलों मे काम भी । लगा मंजिल मिल गई है । पर बड़े बड़े शहरों मे ये सिर्फ छोटी सी बात थी ।

वक्त अब फिल्मों मे काम करने का आ गया था । उन दिनों हेमा मालिनी को अपनी फिल्म 'दिल आशना है' के लिये दिव्या भारती के अपोजिट एक नये चेहरे की तलाश थी। मेरा सलेक्शन भी हो गया लेकिन फिल्म की शूटिंग लटक गई । पर आखिरकार 25 जून 1992 को मेरी किस्मत बदल ही गई । शहर मे राज कंवर की 'दीवाना' का पोस्टर लगा था जिसका हीरो मैं था । जी हाँ मैं ........ शाहरुख खान । (शाहरुख़ खान ने दीवाना के 25 वर्ष पूरे होने पर अपनी बॉलीवुड की इस जर्नी को लेकर ट्वीट भी किया है जिसमें उन्होंने जल्दी सोने की बात की है )

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शुरुआत तो ठीक हुई । चमत्कार और राजू बन गया जेंटलमैंन जैसी फिल्मों से पहचान तो बनने लगी थी पर नाम कमाने के लिए अभी मीलों का सफर तय करना था । ये वो दौर था जहां हीरोपंती चमकती थी । अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग मैन की आग कम हो चुकी थी और लोग चाहते हैं कि अब कोई हीरो , विलेन बन कर दिखाये । मैं नया था हिम्मत दिखा दी । यश चोपड़ा की डर और अब्बास मस्तान की बाजीगर में । फिर माधुरी दीक्षित के साथ अंजाम में भी । बनने चला था हीरो और मिल गया बेस्ट विलेन का अवार्ड । वैसे उसी दौर मे कॉमेडी भी कर ली कभी हाँ कभी ना में। मेरे भीतर के एक्टिंग के कीड़े ने शायद तब तक काफी उफ़ान मार लिया था । शायद उसी ने मुझे बॉलीवुड का किंग ऑफ रोमांस भी बना दिया । ये नब्बे के दौर के आखिरी कुछ साल थे । पहले राकेश रोशन की करन अर्जुन, फिर आदित्य चोपड़ा की दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे। परदेस , दिल तो पागल है , कुछ कुछ होता है । एक के बाद एक फिल्में। सारा फिल्मी मसाला लेकिन उससे बढ़ कर राहुल और राज का रोमांस। एक तरफ 'दिल से' भी आई तो दूसरी तरफ 'कभी खुशी कभी गम' । 'वीर जारा' भी यस बॉस, डुप्लीकेट भी । मेरी फिल्म थिएटर मे लगे तो उतरने का नाम ही नहीं लेती थीं । लोग शाहरुख खान को ब्लॉक ब्लस्टर खान कहने लगे।

सचमुच बॉलीवुड ने मेरी जिंदगी को अलग अलग मुकाम दिये । पहेली से लेकर चक डे इंडिया तक और रा.वन जैसी फिल्मों से लेकर माई नेम इज़ खान जैसी भी । सिलसिला हैप्पी न्यू ईयर, दिलवाले से डियर ज़िंदगी होते हुए रईस तक चला आया है । अभी जब हैरी मेट सेजल और आनंद एल राय की फिल्मों से होते हुए और दूर तक जाना है।

पर ये हिन्दी सिनेमा की माया है जनाब । सड़क के आदमी को आसमान तक पहुंचा देती है और आसमान पर उड़ने वाले को जमीन पर...धड़ाम । आपने राम जाने , गुड्डू , ओह डार्लिंग ये है इंडिया , असोका , फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी और शक्ति भी देखी होगी । मेरे जीवन की कुछ ऐसी फिल्में जिनके बारे मे ना लोग जिक्र करते हैं ना मुझे करने देते हैं । कोई बात नहीं ये तो जिंदगी का हिस्सा है - "कभी अर्श पर कभी फ़र्श पर। " मैं अपने गोल्डन पीरियड को कैसे भुला सकता हूं ।

दो हजार का दौर शुरू हो चुका था और अपने रोमांस के साथ मैं फिर से बॉलीवुड में लौट आया । स्वदेस भी की और डान बन कर अमिताभ बच्चन की नकल भी की । कभी अलविदा ना कहना , कल हो ना हो, ओम शांति ओम , मैं हूँ ना और रब ने बना दी जोड़ी । कहानियाँ आती गईं और मैं काम करता गया क्योंकि मैं .....शाहरुख खान हूं । दीवाना से शुरू हुआ सिलसिला जारी है। मेरे फैंस ने अपने दिल में मुझे बसाया हुआ है इससे ज़्यादा और एक सुपरस्टार को क्या चाहिए।

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आज 25 साल के फिल्मी सफर के बाद भी फिल्में साइन करने के लिए बॉलीवुड के बड़े बड़े निर्माताओ-निर्देशकों की लम्बी लाइन दरवाजे पर लगती है। अब साल में एक या दो फिल्म ही कर पाता हूं।काम ज़्यादा है। चाहे क़ीमती कार की हो , घड़ी या साबुन सब कुछ बेचना पड़ता है। नया नया आया था तब मैं कुछ नहीं था। आज लोग कहते हैं बॉलीवुड का बादशाह । हां शायद हूं... क्योंकि मैं शाहरुख़ खान हूं।


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