राकेश ओमप्रकाश मेहरा की आगामी फिल्म 'मेरे प्यारे प्रधान मंत्री' का First look जारी हुआ
राकेश ने यह कहते हुए जोर दिया कि वो 200 लोगों के साथ होली गीत की शूटिंग शुरू कर चुके हैं।
अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। राकेश ओमप्रकाश मेहरा की नयी फिल्म जल्द ही परदे पर होगी। फिल्म की कहानी चार बच्चों की कहानी पर आधारित होगी। राकेश ने फिल्म के लिए वास्तविक स्थानों पर शूटिंग शुरू कर दी है, जिन्हें 1 महीने के अवकाश के बाद अंतिम रूप दिया गया था। फिल्म की कुछ तस्वीरें सामने आयी हैं।
राकेश ने बताया है कि ''इन झुग्गी बस्तियों के बारे में सोचते हुए, उन्होंने एक माह का लंबा समय वहां बिताया और बच्चों के साथ समय बिताकर वह आश्चर्यचकित हो गये कि सभी चुनौतियों के बावजूद उनका जीवन कितना जीवंत था। आपकी मानसिकता आपकी धारणाओं के अनुसार होती है। किसी लम्बी इमारत में रहने वाला व्यक्ति झुग्गी बस्तियों और उनके साथियों को देखने के लिए नीचे की ओर देखता है बिना यह अहसास किये कि कोई उच्च स्तर पर रहने वाला उसे भी नीचे की ओर देख रहा होगा। विकासशील देशों की तरह जैसे अमीर देशों में मेरी फिल्म की कहानी तुलना के बारे में ज्यादा नहीं है। क्योंकि यह एक एेसी कहानी है जहां लोग बेहतर जीवन जीने का प्रयास करते हैं। इसमें कमजोर करने का कोई प्रयास नहीं है, बल्कि अलग-अलग तरीके से इस दुनिया को देखने का नज़रिया होता है जिससे सौंदर्य और प्रेरणा मिलती है। उन्होंने यह कहते हुए जोर दिया कि वो 200 लोगों के साथ होली गीत की शूटिंग शुरू कर चुके हैं और उस समय के दौरान लगभग एक हजार लोग थे और हर कोई रंग में रंगा हुआ था।''
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फिल्म के बारे में एक बहुत ही रोचक बात फिल्म का शीर्षक है। हालांकि यह फिल्म चार युवा मित्रों के बारे में है, लेकिन इसके शीर्षक में प्रधानमंत्री का नाम है। अब यह जानने के लिए देखना होगा कि ऐसा क्यों नाम दिया गया है। खबर है कि फिल्म की कहानी स्वच्छता अभियान की थीम पर है। बताते चलें कि तीन साल पहले, मेहरा ने अहमदाबाद के एनजीओ के साथ जो रंग दे बसंती से प्रेरित थी, उसके साथ मिल कर परिवर्तन लाना चाहा था। इसके लिए गांधीनगर में गांधी आश्रम का दौरा किया और महात्मा के मॉडल शौचालयों को देखने के बाद नगरपालिका स्कूलों में शौचालयों का निर्माण करने की पहल की शुरुआत की। फिल्म में कन्हैया उर्फ कानू अपने युवा, अकेली मां सरगम के लिए एक शौचालय बनाना चाहता है। फिल्म में मां का किरदार अंजली पाटिल निभा रही हैं।
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राकेश आगे बताते हैं कि एक दिन जब वह झुग्गी से शहर को देख रहे थे, उन्होनें एक ऊंचाई पर ध्यान दिया और यह देखा कि फर्श की संख्या, प्रत्येक मंजिल पर फ्लैट और प्रत्येक फ्लैट से जुड़े शौचालयों में से एक इमारत में कम से कम एक हजार शौचालय होंगे। जबकि इसके आसपास पांच हजार शांग के पास एक भी नहीं था। उन्होंने बताया, ''ये 10 फीट x 10 फीट शांग है, जिसमें लिविंग रूम, रसोई और बेडरूम है, किंतु कोई बाथरूम नहीं हैं।" तब उन्हें लगा कि ऐसी फिल्म बनानी जरूरी है और ऐसे विषय पर फिल्म बननी जरूरी है। इसलिए उन्होंने इस फिल्म को बनाने की ठानी।