Demonetisation पर बनी फ़िल्म की रिलीज़ पर सेंसर बोर्ड ने लगाई रोक
फ़िल्म के प्रोड्यूसर्स को भेजे गए लेटर में कहा गया है कि चेयरपर्सन के ऑफ़िस से जैसे ही कुछ सूचना आएगी, आपको अवगत करवा दिया जाएगा।
कोलकाता। सीबीएफ़सी यानि सेंसर बोर्ड फ़िल्मों के विषयों को लेकर कितनी सतर्कता बरत रहा है, इसी ताज़ा मिसाल बंगाली फ़िल्म शून्योता है, जिसकी रिलीज़ पर रोक लगा दी गई है। फ़िल्म केंद्र सरकार के डिमॉनेटाइजेशन के फ़ैसले के बाद लोगों को होने वाली दिक्कतों पर आधारित है। इस मामले को सीबीएफ़सी चेयरमैन को रेफर कर दिया गया है।
शून्योता के डायरेक्टर सुवेंदु घोष का दावा है कि डिमॉनेटाइजेशन पर ये पहली फ़िल्म है और 31 मार्च को रिलीज़ होने वाली है। एग्ज़ामिनिंग कमेटी ने फ़िल्म 27 मार्च को देखी। कमेटी सदस्यों के बीच सर्टिफिकेट को लेकर मत भिन्नता होने की वजह से फ़िल्म को चेयरमैन के पास भेज दिया गया है। फ़िल्म के प्रोड्यूसर्स को भेजे गए लेटर में कहा गया है कि चेयरपर्सन के ऑफ़िस से जैसे ही कुछ सूचना आएगी, आपको अवगत करवा दिया जाएगा। पीटीआई के मुताबिक़, मीडिया से बातचीत करते हुए सुवेंदु घोष ने कहा- ''मुझे पता लगा है कि सीबीएफ़सी सदस्य इस बात तो लेकर एकमत नहीं थे कि किस केटेगरी में प्रमाण पत्र दिया जाए। अगर कोई इशू था तो यूए केटेगरी में प्रमाण पत्र दे देना चाहिए था। मेरी फ़िल्म डिमॉनेटाइजेशन पर कोई स्टैंड नहीं लेती। समाज के विभिन्न तबकों के लोगों द्वारा जिन परेशानियों का सामना किया गया, उस पर आधारित है।''
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घोष ने ये माना कि विवादों के मद्देनज़र सीबीएफ़सी कुछ चीज़ों को लेकर काफी टची हो गया है। लिपस्टिक अंडर माई बुर्का को वुमन ओरिएंटिड फ़िल्म होने की वजह से सर्टिफिकेट नहीं दिया गया है, जबकि उड़ता पंजाब के केस में पंजाब शब्द को लेकर सीबीएफ़ी को एतराज़ था। घोष ने अपनी फ़िल्म को यू ट्यूब पर रिलीज़ करने की संभावना इसे इंकार करते हुए कहा कि उन्होंने फ़िल्म सिनेमाहॉल्स के लिए बनाई है। वो इस इशू पर हार नहीं मानेंगे।