हरक-सुबोध बोले, अध्यक्ष की कुर्सी में इतनी ताकत होती है, इसका पता बीते वर्ष चला
नई सरकार में मंत्री बने डॉ हरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल विधायकी जाने की टीस को छिपा नहीं सके। कहा कि अध्यक्ष की कुर्सी में इतनी ताकत होती है, इसका पता बीते वर्ष चला।
By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 24 Mar 2017 12:18 PM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 04:06 AM (IST)
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: नए विधानसभा अध्यक्ष के निर्विरोध निर्वाचन के बाद बधाई संबोधन के दौरान कांग्रेस से बगावत कर भाजपा का दामन थामकर फिर चुनाव जीत कर विधायक और नई सरकार में मंत्री बने डॉ हरक सिंह रावत और सुबोध उनियाल विधायकी जाने की टीस को छिपा नहीं सके। अपने संबोधन में उक्त नेताद्वय के अलावा कुछ भाजपा विधायकों ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल पर निशाना साधा। वहीं चुनाव में कांग्रेस की हालिया दुर्गति के लिए इशारों में ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को जिम्मेदार ठहराने से नहीं चूके।
बीते वर्ष 18 मार्च को नौ विधायकों की बगावत के चलते कांग्रेस सरकार संकट में आ गई थी। तब पिछले विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल ने दलबदल कानून के प्रावधानों का इस्तेमाल करते हुए सभी नौ विधायकों की विधानसभा सदस्यता रद कर दी थी। उक्त नौ विधायकों में अधिकतर नए विधानसभा चुनाव में फिर चुने गए हैं। लिहाजा इन सदस्यों ने बीते वर्ष पीठ के फैसले को लेकर टीस का खुलकर इजहार किया।
नए विधानसभा अध्यक्ष के लिए अपने बधाई संबोधन में काबीना मंत्री डॉ हरक सिंह रावत पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि अध्यक्ष की कुर्सी में इतनी ताकत होती है, इसका पता उन्हें बीते वर्ष ही चला। वह विधानसभा सदस्य हैं या नहीं, इसे लेकर हाईकोर्ट में लड़ते-लड़ते थक गए। पिछला एक साल बुरे अहसास के तौर पर गुजरा।
इसमें ये भी पता चल गया कि अध्यक्ष की कुर्सी में असीम ताकत होती है। यह भी पता चल गया कि 'खाता न बही, स्पीकर जो कहे वही सही।' पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को निशाने पर लेते हुए उन्होंने कहा कि समय रुकता नहीं है। वक्त जो गलत को भी कई बार सही कर देता है। जनमत संकेत कर रहा है कि राज्य निर्माण के लिए शहीदों के सपने अब साकार होंगे।
काबीना मंत्री सुबोध उनियाल ने भी पूर्व स्पीकर के फैसले और चुनाव में कांग्रेस के हश्र पर अपना गुबार निकाला। उन्होंने कहा कि क्रिकेट के खेल में अंपायर की भूमिका महत्वपूर्ण है। लेकिन, जब नो बॉल पर आउट दिया जाता है तो दिल बहुत दुखता है। ऐसे में दिल से बद्दुआ भी निकलती है। स्पीकर की शक्ति का स्रोत सदन है और सदन की शक्ति का स्रोत जनता है। सदन और स्पीकर का सम्मान बचा रहना चाहिए।
पद की गरिमा के बजाए दल से लगाव इतना न हो कि चुनाव में हालत 11 तक रह जाए। विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने कहा कि स्पीकर सदन के भीतर सर्वशक्तिमान तो है, लेकिन स्वछंद नहीं है। काबीना मंत्री अरविंद पांडेय अपने अंदाज में पलटवार करने से नहीं चूके। उन्होंने कांग्रेस की पिछली एनडी सरकार और फिर पिछली भाजपा सरकार के विपक्षी विधायकों के प्रति अपनाए गए रुख का सराहा। पहली बार विधायक बने पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के पुत्र सौरभ बहुगुणा की जुबां पर भी बीते एक साल का दर्द आ गया। विधायक खजान दास ने भी पूर्व स्पीकर को निशाने पर लिया।
नए विधायकों ने छोड़ी छाप
सदन में युवा और नए विधायकों ने अपने अलहदा अंदाज से ध्यान खींचा। नैनीताल सीट से चुने गए नए विधायक संजीव आर्य ने अपने संबोधन की शुरुआत में राज्य आंदोलनकारियों के साथ ही शहादत दिवस पर शहीदेआजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। वहीं कर्णप्रयाग विधायक सुरेंद्र सिंह नेगी और थराली विधायक मगनलाल शाह ने गैरसैंण में विधानसभा सत्र आहूत करने की पैरवी की।
स्कूटर पर पहुंचे शाह
माननीयों में सुख-सुविधा पाने की होड़ नजर आती है, ऐसे में थराली विधायक मगनलाल शाह ने चौपहिया वाहन छोड़कर खुद स्कूटर चलाकर विधानसभा पहुंच सादगी की मिसाल पेश की। बात में मीडिया से बातचीत में शाह ने कहा कि दून के रास्तों में जाम की नौबत के चलते उन्होंने स्कूटर पर आना ही मुनासिब समझा।
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