शांत समझा जाने वाला राज्य हिमाचल अब अशांत है। यहां के लोग भी खुद को असुरक्षित समझने लगे हैं। प्रदेश में छिटपुट वारदातें तो पहले भी होती रही हैं लेकिन अब जिस गति से अपराध दर बढ़ी है, उससे लोगों में दहशत होना लाजिमी है। शायद ऐसा ही कोई दिन हो जिस दिन लूटपाट, दुष्कर्म या चोरी की घटनाएं सामने न आएं। यहां तक कि हत्या जैसे संगीन अपराध भी होने लगे हैं। राज्य के जिन स्थानों पर सुकून पाने के लिए लोग आते हैं, वे भी अब शांत नहीं हैं। धार्मिक स्थलों पर भी आपराधिक प्रवृति के लोग पहुंचने लगे हैं। ऐसा भी नहीं है कि प्रदेश के लोग ही आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं बल्कि अन्य राज्यों से आकर भी लोग यहां पर अपराध कर रहे हैं। काफी समय पहले राजधानी शिमला में पंजाब के एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को मार कर जंगल में फेंक दिया था। ऊना जिला के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चिंतपूर्णी के होटलों में भी शव मिलने के मामले सामने आते रहे हैं। सोलन जिला के परवाणू में हुई वारदात भी रौंगटे खड़े करने वाली है। पड़ोसी राज्य के एक नेता की परवाणू में गोली मार कर हत्या करने का मामला बताता है कि स्थिति कितनी गंभीर है। हालांकि अभी यह जांच का विषय है कि हत्यारे कौन हैं लेकिन प्रारंभिक जांच में यही सामने आया है कि यह वारदात निजी रंजिश का नतीजा है। प्रदेश में पहले भी इस तरह की वारदातें सामने आती रही हैं जिनमें अन्य राज्यों के लोग आपराधिक वारदातें कर फरार होते रहे हैं। पर्यटक स्थलों पर भी आपराधिक घटनाएं होती रही हैं। ऐसी वारदातें बताती हैं कि यदि समय रहते नहीं चेते तो स्थितियां और खराब होती जाएंगी। ऐसी वारदातों से यदि बचना है तो इसके लिए हर पक्ष को सतर्कता अपनानी ही होगी। वारदातों को रोकने की पूरी जिम्मेदारी केवल सरकार और प्रशासन की ही नहीं है। इस मामले में जनता को भी सहभागिता निभानी होगी। लोगों को चाहिए कि यदि उन्हें कोई संदिग्ध व्यक्ति या वस्तु दिखती है तो इसकी सूचना तत्काल पुलिस को दें ताकि किसी अनहोनी को टाला जा सके। होटल मालिकों का भी दायित्व है कि वे किसी को कमरा किराये पर देने से पहले उसके संबंध में पूरी पड़ताल व सही नाम पता जांच लें। होटलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं ताकि यदि कोई व्यक्ति किसी वारदात को अंजाम देकर फरार हो जाए तो उसे पकड़ा जा सके।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]