अब AIIMS में भ्रष्टाचार के कैंसर का इलाज नहीं होता
एम्स में शायद ही कोई ऐसी बीमारी हो, जिसका इलाज नहीं होता हो, लेकिन शायद यहां अब भ्रष्टाचार के कैंसर का इलाज नहीं होता है। एक साल में भ्रष्टाचार का एक भी नया मामला कार्रवाई के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) व केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) में नहीं भेजा गया
नई दिल्ली (रणविजय सिंह)। एम्स में शायद ही कोई ऐसी बीमारी हो, जिसका इलाज नहीं होता हो, लेकिन शायद यहां अब भ्रष्टाचार के कैंसर का इलाज नहीं होता है। एक साल में भ्रष्टाचार का एक भी नया मामला कार्रवाई के लिए केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) व केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) में नहीं भेजा गया है।
भ्रष्टाचार के पुराने मामलों पर भी लीपापोती की कोशिश हो रही है।1वर्ष 2015 के रेमन मैग्सेसे अवार्ड के लिए चयनित भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने एम्स में मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) रहते भ्रष्टाचार के दर्जनों मामलों का खुलासा किया था।
अपने से वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की। 14 अगस्त 2014 को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रलय ने उन्हें सीवीओ पद से हटाया था। इसके बाद भ्रष्टाचार का कोई भी नया मामला कार्रवाई के लिए जांच एजेंसियों को नहीं भेजा गया।
उनके द्वारा हाई कोर्ट व कैट में दायर हलफनामे में भी कहा गया है कि अगस्त 2014 के बाद भ्रष्टाचार का एक भी नया मामला सीवीसी और सीबीआइ में नहीं भेजा गया। दो पुराने मामले सीवीसी में जरूर भेजे गए हैं। उन मामलों की जांच संजीव के समय हुई थी।
एक मामले में कार्डियो एनेस्थीसिया विभाग की महिला प्रोफेसर के खिलाफ डॉक्टर ऑफ मेडिसिन की परीक्षा की गाइड छापने का आरोप है, जबकि वह पेपर सेट करने वाले पैनल की सदस्य थीं। इस मामले में भी संजीव ने कड़ी कार्रवाई (मेजर पेनाल्टी) की संस्तुति की थी, बाद में इसे पलट दिया गया।
अब उनके खिलाफ हल्की कार्रवाई (माइनर पेनाल्टी) की संस्तुति की गई है। एक मामला जैव सांख्यिकी विभाग से जुड़ा है। वर्ष 2013-14 में कई बड़े अधिकारियों के खिलाफ जांच व कार्रवाई हुई। इसमें संस्थान के दो पूर्व उपनिदेशकों, पूर्व मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, एम्स ट्रॉमा सेंटर के स्टोर अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई आदि शामिल है।
एम्स विस्तार की परियोजना में अनियमितता के आरोप में संस्थान के पूर्व निदेशक विनीत चौधरी के खिलाफ चार्जशीट के लिए पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने स्वीकृति दी थी। वह अब तक जारी नहीं हुई। खेल कोटे के तहत फर्जी नियुक्ति के मामले में पूर्व मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के खिलाफ जांच अधिकारी ने आठ महीने पहले ही रिपोर्ट सौंप दी है। इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।