ईवीएम के फर्जीवाड़े पर दावा करने नहीं पहुंची कोई सियासी पार्टी
केंद्रीय चुनाव आयोग के पास किसी राजनीतिक दल ने अपने प्रतिनिधियों की सूची नहीं सौंपी है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। चुनाव नतीजों में भाजपा की बड़ी जीत के बाद विपक्ष ने इवीएम को मुद्दा तो बना लिया था लेकिन अब शायद कदम सुस्त पड़ गए हैं। चुनाव आयोग की ओर से दी गई ईवीएम से छेड़छाड़ की चुनौती को अब तक किसी भी राजनीतिक दल ने स्वीकार नहीं किया है।
इसके लिए अपने प्रतिनिधियों का नाम देने की अंतिम तारीख शुक्रवार है, लेकिन बुधवार शाम तक किसी पार्टी ने इसके लिए अपने नाम नहीं दिए हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) नसीम जैदी ने यह भी कहा है कि अब तक ईवीएम को ले कर कोई ठोस सबूत किसी पार्टी ने आयोग को नहीं दिया है।
अब तक केंद्रीय चुनाव आयोग के पास किसी राजनीतिक दल ने अपने प्रतिनिधियों की सूची नहीं सौंपी है। तीन जून से आयोजित हो रही ईवीएम चुनौती में भाग लेने के लिए पहले से नाम देना जरूरी है। आयोग ने पिछले दिनों पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में भाग लेने वाली सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय पार्टियों को इस चुनौती में भाग लेने का न्यौता दिया है। साथ ही इन्हें कहा है कि वे 26 मई की शाम पांच बजे तक आयोग को अपने उन प्रतिनिधियों की सूची भेज दें, जिन्हें इसमें भाग लेना है।
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इस चुनौती में पार्टियों को किन्ही भी तीन व्यक्ति को अपने प्रतिनिधि के तौर पर भेजने की छूट होगी, बशर्ते कि वे सभी भारतीय हों। कांग्रेस, सपा, बसपा, तृणमूल, जद (यू), राजद, आप सहित विभिन्न विपक्षी पार्टियों ने इस संबंध में पहले शिकायत की थी।
उधर, मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने मीडिया से बातचीत में यह भी कहा है कि विपक्षी दलों की ओर से अब तक ईवीएम को ले कर आयोग को कोई ठोस सबूत नहीं दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस चुनौती के लिए उन वोटिंग मशीनों को दिल्ली मंगवाया जाना शुरू कर दिया गया है जिन्हें पांच राज्यों के चुनावों में उपयोग किया गया था।
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तीन जून से शुरू हो रही चुनौती के दौरान प्रत्येक पार्टी की टीम को चार घंटे का समय दिया जाएगा। इस दौरान वे ईवीएम मशीन के कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट पर दिए गए बटनों को दबा कर या फिर ब्लूटूथ अथवा मोबाइल फोन जैसे किसी बाहरी उपकरण की मदद से अपनी बात साबित कर सकेंगे। लेकिन अगर इस दौरान मशीन बंद हो गई तो उनका दावा समाप्त माना जाएगा। चुनौती के दौरान पार्टियों के प्रतिनिधियों को आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुरूप ही काम करना होगा। इन्हें मशीनों को खोलने या उसके पुर्जे बदलने की छूट नहीं होगी।
ध्यान रहे कि दिल्ली विधानसभा में 'आप' ने एक मशीन के जरिए दावा किया था कि बहुत आसानी से ईवीएम को हैक किया जा सकता है। 'आप' विधायक ने तो यह तक दावा किया था कि वह कुछ सेकेंड में मदरबोर्ड भी बदल सकते हैं।
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