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MCD polls 2017: लगातार हो रहे सर्वे से बढ़ रहीं कांग्रेसियों की धड़कनें

सर्वे के आधार पर टिकट बंटवारा हुआ तो जमीनी कार्यकर्ताओं को ही टिकट मिलेगा। ऐसे में सिर्फ ऊपर के नेताओं की पैरवी के सहारे टिकट की आस रखने वाले उम्मीदवारों की धड़कने तेज हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 09:12 AM (IST)Updated: Sat, 01 Apr 2017 07:37 PM (IST)
MCD polls 2017: लगातार हो रहे सर्वे से बढ़ रहीं कांग्रेसियों की धड़कनें
MCD polls 2017: लगातार हो रहे सर्वे से बढ़ रहीं कांग्रेसियों की धड़कनें

नई दिल्ली (जेएनएन)। जमीनी स्तर के उम्मीदवारों की तलाश में इस बार कांग्रेस बार-बार सर्वे कर रही है। कार्यकर्ताओं से चुनाव में जीत हासिल करने की क्षमता रखने वाले भावी उम्मीदवारों के बारे में जानकारी हासिल की जा रही है। अगर इस सर्वे के आधार पर टिकट बंटवारा हुआ तो निश्चित रूप से जमीनी कार्यकर्ताओं को ही टिकट मिलेगा। यही वजह है कि सिर्फ ऊपर के नेताओं की पैरवी के सहारे टिकट की आस रखने वाले भावी उम्मीदवारों की धड़कने तेज हो गई हैं।

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कांग्रेस ने इस बार टिकट पाने की इच्छा रखने वाले सभी भावी उम्मीदवारों से फार्म भरवाए थे। उसमें यह शर्त भी जोड़ी गई थी कि वार्ड के प्रत्येक बूथ से कम से कम पांच कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के फोन नंबर और पते उपलब्ध करवाएं। एक वार्ड में 40 से 50 बूथ हैं, जिससे सभी आवेदनकर्ताओं ने 200 से लेकर ढाई सौ कार्यकर्ताओं की सूची आवेदन के साथ उपलब्ध करवाई है।

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कई आवेदनकर्ताओं तो इसे महज औपचारिकता समझा और इसी वजह से उन्होंने दूसरे भावी उम्मीदवारों के आवेदन में दर्ज कार्यकर्ताओं की सूची में अधिकतर नाम अपने आवेदन में भी संलग्न कर लिए। ऐसे में उन आवेदनकर्ताओं के लिए मुश्किल हो गई है, जिन्होंने किसी दूसरे आवेदनकर्ता के नाम कॉपी किए थे।

टिकट फाइनल करने के लिए कांग्रेस के जिला पर्यवेक्षकों ने विधानसभा वार संभावित उम्मीदवारों का साक्षात्कार लिया था। इससे पहले सर्वे का काम पूरा कर लिया गया था। लेकिन अब फिर से प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से बूथ कार्यकर्ताओं के पास फोन आने शुरू हो गए हैं।

कई कार्यकर्ताओं से तीन-तीन बार संभावित उम्मीदवारों की जीत की गारंटी को लेकर तरह-तरह के प्रश्न किए जा रहे हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं की पूछ बढ़ गई है।

सभी संभावित उम्मीदवार कार्यकर्ताओं की जी हुजूरी में जुट गए हैं। वह कार्यकर्ताओं को फोन कर और उनसे मिलकर अपने पक्ष में बात रखने की बात कर रहे हैं। कुछ भावी उम्मीदवारों का कहना है कि अगर जमीनी स्तर पर किए जा रहे इस सर्वे को आधार बनाया गया तो ऊपर की पैरवी कोई काम नहीं आएगी।


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