MCD चुनाव 2017: चुनाव से पहले इन वजहों से बढ़ सकती हैं 'आप' की मुश्किलें
एक तरफ 'आप' विधायक का भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत है तो वहीं, आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता खत्म करने या न करने का फैसला अब चंद दिनों में ही आ जाएगा।
नई दिल्ली [अमित मिश्रा]। नगर निगम चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लग सकता है। हाल ही में बवाना से 'आप' विधायक वेद प्रकाश आम आदमी पार्टी को छोड़ भाजपा में शामिल हो गए। निगम चुनाव से पहले 'आप' में हुई इस टूट को पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
वेद प्रकाश शर्मा के भाजपा में शामिल होने के बाद 'आप' के बागी विधायकों को सीएम अरविंद केजरीवाल पर निशाने साधने का मौका मिल गया है। दिल्ली सरकार में मंत्री पद खो चुके आसिम अहमद खान के मुताबिक कई विधायक अरविंद केजरीवाल को सीएम अरविंद केजरीवाल के तौर पर नहीं देखना चाहते हैं।
आसिम अहमद खान का कहना है, 'आम आदमी पार्टी के विधायक अगर यह कहते हैं कि उन्हें अपने सीएम पर भरोसा नहीं है तो दिल्ली की जनता कैसे भरोसा करेगी। विधायकों को सीएम से मिलने का समय नहीं मिलता तो आम जनता कैसे मिलेगी। बागी विधायक यह दावा कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में कई असंतुष्ट विधायक पार्टी छोड़कर जा सकते हैं।
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एक तरफ 'आप' विधायक का भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत है तो वहीं, आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता खत्म करने या न करने का फैसला अब चंद दिनों में ही आ जाएगा। चुनाव आयोग ने मामले में सुनवाई पूरी कर ली है। आयोग ने फैसला रिजर्व रख लिया है। अभी यह तय नहीं है कि 'आप' के 21 विधायकों की किस्मत पर फैसला कब होगा लेकिन उम्मीद है कि अाने वाले दिए 'आप' पर भारी पड़ सकते हैं।
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी के सरकार के आने के बाद 21 विधायकों को संसदीय सचिव बना दिया गया था, जिसे वकील प्रशांत पटेल ने चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि संसदीय सचिव लाभ का पद है, इसलिए इन सभी विधायकों की सदस्यता खत्म होनी चाहिए।
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