संस्कृत है सभी भाषाओं की मूल : डॉ.रमाकांत शुक्ल
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : संस्कृत सभी भाषाओं की मूल है। इस भाषा का न सिर्फ भाषाई महत्व है, ब
जागरण संवाददाता, पश्चिमी दिल्ली : संस्कृत सभी भाषाओं की मूल है। इस भाषा का न सिर्फ भाषाई महत्व है, बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी है। संस्कृत के अध्ययन में मानवता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। जानेमाने संस्कृत विद्वान व पदमश्री से सम्मानित डॉ.रमाकांत शुक्ल ने कहा कि संस्कृत ऐसी भाषा है जिसके शब्द दुनिया की सभी प्राचीन भाषाओं में विद्यमान हैं। डॉ. शुक्ल संस्कृत के प्रचार प्रसार से जुड़ी संस्था देववाणी परिषद के 41वें संकल्पना दिवस पर उत्तम नगर के वाणी विहार में आयोजित समारोह में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
डॉ.शुक्ल ने कहा कि संस्कृत के शब्दों का यूरोप की भाषाओं पर सर्वाधिक प्रभाव झलकता है। फ्रेंच, जर्मन व अंग्रेजी के कई शब्द संस्कृत से मिलते जुलते हैं। साहित्य की बात करें तो संस्कृत भाषा में रचे गए ग्रंथ का अनुवाद दुनिया की कई भाषाओं में अब तक हो चुका है। पाणिनी रचित व्याकरण को दुनिया के सभी भाषाओं में उद्घृत किया जाता है। समारोह के दौरान हरियाणा संस्कृत अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ.श्रेयांश कुमार द्विवेदी ने कहा कि संस्कृत भाषा और साहित्य अनादि काल से आज तक मानवता के संरक्षण की प्रेरणा देते आ रहे हैं। वेदों से लेकर आज की रचनाओं में मानवीयता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। संस्कृत का अध्ययन न केवल भारतीयता का परिचायक है, बल्कि विश्वबंधुत्व की भावना को संपुष्ट भी करती है। कार्यक्रम के दौरान संस्कृत काव्य गोष्ठी, विद्वानों के उद्बोधन, शिशुओं के संस्कृत श्लोकपाठ आगंतुकों के आकर्षण का केंद्र रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता परिषद के अध्यक्ष डॉ.इच्छाराम द्विवेदी ने की। इस अवसर पर डॉ.चंद्रभूषण झा, डॉ. दयाल सिंह पंवार, डॉ. अमित शर्मा, डॉ.पूजा शर्मा, डॉ.ऋषिराज पाठक, मुनिराज पाठक व डॉ.परमानंद झा सहित कई लोग उपस्थित थे।