जब 4 घंटे में गिरे 27 विकेट, ऐसा क्रिकेट मैच आज तक किसी ने नहीं देखा
तकरीबन 130 साल पहले खेले गए उस मुकाबले में जैसा प्रदर्शन गेंदबाजों ने किया, वैसा आज तक देखने को नहीं मिला।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में यूं तो कई एतिहासिक मैच दर्ज हुए हैं लेकिन कुछ ही मुकाबले ऐसे हुए जिन्होंने अपनी सबसे गहरी छाप छोड़ी। ऐसा ही एक मुकाबला 1888 में खेला गया था और आज ही के दिन (17 जुलाई) उस मैच में ऐसा कुछ हुआ जिसने सबको हैरान कर दिया था।
- पहले ही दिन हो गई थी शुरुआत
ये तीन दिवसीय मैच था ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच। मुकाबला इंग्लैंड के सबसे प्रतिष्ठित मैदान व क्रिकेट का मक्का माने जाने वाले 'लॉर्ड्स' पर हो रहा था। मैच में मेहमान टीम ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और वे पहली पारी में 116 रन बनाकर सिमट गए। जवाब में इंग्लैंड की टीम ने पहले दिन का खेल खत्म होने तक 18 रन पर अपने 3 विकेट गंवा दिए। यानी खेल के पहले दिन ही 13 विकेट गिर चुके थे।
- इसके बाद आया कहर वाला दिन
शायद ही किसी ने सोचा था कि मैच के पहले दिन गेंदबाजों ने जो कहर बरपाया था, दूसरे दिन उससे भी खतरनाक स्थिति होने वाली थी। इंग्लैंड की टीम दूसरे दिन की शुरुआत करने उतरी और देखते-देखते 53 रन के अंदर उनकी पूरी टीम सिमट गई। उनके 9 खिलाड़ी दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर सके। इसके बाद दूसरी पारी की बारी आई। ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज एक बार फिर कोशिश करने उतरे लेकिन इस बार उनकी पूरी टीम 60 रन पर ही सिमट गई। उनकी तरफ से भी नौ बल्लेबाज दहाई का आंकड़ा तक पार नहीं कर सके। खैर, किसी तरह ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को 124 रनों का लक्ष्य दिया। अभी दूसरे दिन का खेल खत्म होने में बहुत समय बाकी था और तीसरे दिन का खेल भी पूरा था लेकिन इंग्लैंड अपनी दूसरी पारी में 62 रनों पर सिमट गई और दूसरे दिन ही 61 रनों से मैच गंवा दिया।
- वो चार घंटे, आखिर वजह क्या थी?
इस मैच में दोनों टीमों ने पूरी बल्लेबाजी की। दोनों ही पारियों में दोनों ही टीम के सभी खिलाड़ियों को बल्लेबाजी का मौका मिला, इसके बावजूद मैच का नतीजा डेढ़ दिन के अंदर निकल आया। पहले दिन का खेल तो दिन के अंत तक चला लेकिन दूसरे दिन सिर्फ चार घंटे में 27 विकेट गिर गए। इसमें इंग्लैंड के अंतिम 7 विकेट भी शामिल थे जो 35 रन के अंदर गिर गए थे। दरअसल, मैच से पहले लंदन में काफी तेज बारिश हुई थी और कुछ खबरों के मुताबिक पिच को ज्यादा समय तक ढका नहीं गया था क्योंकि उस समय ज्यादा साधन मौजूद नहीं थे। इसी का फायदा गेंदबाजों को मिला और उन्होंने बल्लेबाजों को टेस्ट इतिहास के सबसे यादगार प्रदर्शन से रुबरू कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
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इस मैच में ऑस्ट्रेलिया के चार्ली टर्नर ने सर्वाधिक 10 विकेट लिए। उन्होंने पहली पारी में 27 रन देकर 5 विकेट लिए जबकि दूसरी पारी में 36 रन देकर 5 विकेट झटके थे।