अगर गुलाबी गेंद से खेलना है तो भारत को इस चीज का मोह छोड़ना होगा
बीसीसीआइ भले ही जल्द से जल्द गुलाबी गेंद से होने वाले टेस्ट मैच की मेजबानी करना चाहता हो, लेकिन अभी इसको लेकर क्रिकेटरों की राय एकमत नहीं है।
अभिषेक त्रिपाठी, ग्रेटर नोएडा। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) भले ही जल्द से जल्द गुलाबी गेंद से होने वाले टेस्ट मैच की मेजबानी करना चाहता हो, लेकिन अभी इसको लेकर क्रिकेटरों की राय एकमत नहीं है। देश में पहली बार गुलाबी गेंद से हुए दलीप ट्रॉफी के चार दिवसीय मुकाबले के बाद भी यही बात सामने आई कि इस गेंद से डे-नाइट टेस्ट कराने के लिए स्पिन विकेट की जगह ग्रीन टॉप विकेट बनानी होगी। नतीजतन, टीम इंडिया को मिलने वाला घरेलू मैदान का फायदा खत्म हो जाएगा।
शहीद विजय सिंह पथिक स्टेडियम में भी गुलाबी कूकाबूरा गेंद से हुए मैच में पिच पर घास रखी गई थी, जिससे गेंद की चमक जल्दी न खोए। देश में होने वाले टेस्ट मैचों में लाल एसजी गेंद का प्रयोग किया जाता है जो पुरानी होने पर रिवर्स स्विंग करती है और स्पिनरों की मुफीद पिच पर हमें फायदा दिलाती है।
टेस्ट क्रिकेट को बचाने के लिए आइसीसी ने डे-नाइट टेस्ट मैच को सहारा बनाया है और वह चाहता है कि ज्यादा से ज्यादा देश गुलाबी गेंद से खेलें जिससे मैदान में दर्शकों की भीड़ जुटाई जा सके। इसी क्रम में पिछले साल एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंडमें पहला डे-नाइट टेस्ट खेला गया। इस मैच में ज्यादा रन नहीं बने। गेंदबाजों का बोलबाला रहा था। बीसीसीआइ ने भी इसीलिए इस बार दलीप ट्रॉफी को गुलाबी गेंद से कराने का निर्णय लिया। बोर्ड देखना चाहता है कि यह यहां की पिचों और कंडीशन में किस तरह व्यवहार करती है और इसका भविष्य क्या है?
हमारी मजबूती स्पिन विकेट
हमारी मजबूती स्पिन पिच रही है। जिस पर घास न के बराबर हो, लेकिन गुलाबी गेंद के लिए पिच पर कम से कम चार मिमी घास छोड़नी होगी जिससे कम से कम दो दिन गेंद 80-80 ओवर तक अपनी चमक न खोए और दूधिया रोशनी में भी बल्लेबाजों को दिखाई दे। अगर यहां गुलाबी गेंद से डे-नाइट टेस्ट होगा तो तीसरे दिन भले ही टीम इंडिया को स्पिनरों का कोई फायदा मिले। वहीं, अभी तक यहां आयोजित टेस्ट मैचों में टीम इंडिया को पहले ही दिन से स्पिन ट्रैक मिल जाता है। पिछले साल नागपुर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हुए टेस्ट मैच में तो दस ओवरों के बाद ही स्पिनर रवींद्र जडेजा को गेंदबाजी के लिए लगा दिया गया था। यही कारण है हम घरेलू मैदान पर हुई पिछली 19 टेस्ट सीरीज में सिर्फ दो में हारे हैं। जानकारों का मानना है कि गुलाबी गेंद से हम पूरी टेस्ट सीरीज नहीं करा सकते। किसी सीरीज में एक मैच रखकर जरूर कुछ बदलाव ला सकते हैं, क्योंकि गुलाबी गेंद के लिए बनाई गई घास वाली पिच से ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और इंग्लैंड जैसी टीम के गेंदबाज भारत में भी टीम इंडिया के बल्लेबाजों को परेशान करने में सफल रहेंगे जो अब तक वे नहीं कर पाते थे।
- किसने क्या कहा
'गुलाबी गेंद के भविष्य के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा। अभी हमने इसे हरी विकेट पर देखा है। हमें यह देखना होगा कि यह सूखी और स्पिन ट्रैक पर कैसी रहती है। लाल एसजी गेंद और इसमें अंतर है। मुझे नहीं लगता कि उपमहाद्वीप में हमें हरी विकेट पर खेलना चाहिए, क्योंकि इससे हमें घरेलू मैदान में मिलने वाला फायदा खोना होगा। ये हम सबके लिए एक नया अनुभव रहा।' - पार्थिव पटेल, इंडिया ग्रीन, विकेटकीपर
'पहले दिन मुकुंद को छोड़कर सभी बल्लेबाजों को दिक्कत हुई। मुझे दूधिया रोशनी में सीम को देखने में दिक्कत हो रही थी। कुछ समय बाद यह आसानी से दिखने लगी। हालांकि कुलदीप और श्रेयस ने इस गेंद को अच्छी तरह इस्तेमाल किया, जबकि ऐसा कहा जाता है कि ये स्पिनरों के लिए उतनी मददगार साबित नहीं होती। इस गेंद से खेलने के लिए अभ्यास महत्वपूर्ण होगा।' - गुरकीरत सिंह, इंडिया रेड, बल्लेबाज
- भारत का टेस्ट रिकॉर्ड स्थल, मैच, जीते, हारे, ड्रॉ, टाई
घरेलू, 248, 87, 51, 109, 01
विदेश, 251, 42, 106, 103, 00