घरेलू अंपायरों पर विश्वास नहीं करते भारतीय : टफेल
दुनिया में सबसे सम्मानित अंपायरों में शुमार ऑस्ट्रेलिया के साइमन टफेल के अनुसार भारतीय खिलाड़ी अपने घरेलू अंपायरों के प्रति सकारात्मक रख नहीं रखते।
नई दिल्ली। दुनिया में सबसे सम्मानित अंपायरों में शुमार ऑस्ट्रेलिया के साइमन टफेल के अनुसार भारतीय खिलाड़ी अपने घरेलू अंपायरों के प्रति सकारात्मक रख नहीं रखते।
साइमन ने कहा, 'भारतीय खिलाडिय़ों के अलावा प्रशंसकों में भी घरेलू अंपायरों के प्रति वह विश्वास और सम्मान नहीं है, जो होना चाहिए। यह सोच बदलने की जरूरत है। भले ही कोई भी भारतीय अंपायर आइसीसी के एलीट पैनल में न हो, लेकिन वे भी सक्षम हैं। आइसीसी का एलीट अंपायर पैनल वर्ष 2002 में गठित किया गया था, लेकिन अभी तक केवल एक भारतीय एस. वेंकटराघवन उसमें शामिल हो सके हैं। बीसीसीआइ के अंपायरों के एलीट पैनल के मेंटर और सलाहकार टफेल ने कहा, 'अंपायर का काम मुश्किल होता है और खिलाडिय़ों को उनकी मदद करनी चाहिए और उनकी सराहना करनी चाहिए क्योंकि आखिरकार अंपायर भी इंसान ही हैं। अंपायर को फैसला करने के लिए क्षणभर का समय मिलता है, जबकि टीवी पर आप कई बार रिप्ले देखकर भी अंदाजा नहीं लगा पाते। जब अंपायर सही फैसला करता है तो कोई ध्यान नहीं देता, लेकिन यदि थोड़ी सी भी गलती हो जाए तो आलोचनाएं शुरू हो जाती हैं। मेरा मानना है कि खिलाड़ी अपने अनुभव से अंपायरों को अवगत कराएं और उनसे चर्चा करें।
उन्होंने कहा कि या तो अंपायर बहुत अधिक पगबाधा दे देते हैं या नहीं देते। इस काम में पारदर्शिता और ईमानदारी की जरूरत है। बीसीसीआइ पिछले लंबे समय से वीडियो कैमरे लगाकर इस समस्या से निपटने का प्रयास कर रही है और यह अहम कदम है।
टफेल ने स्वीकार किया कि भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में ही मैदान पर मौजूद तीसरी टीम अर्थात अंपायरों को कोई ध्यान नहीं देता है। उन्होंने कहा कि सभी कि अपनी भूमिका होती है, लेकिन किसी गलती पर अंपायरों को दोष देना सबसे आसान होता है।