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आयकर बचाने के हैं दो बेहतरीन तरीके, जानिए आपके लिए कौन सा बेहतर

शेयर बाजार में निवेश करने से पहले जान लीजिए ULIP और ELSS में से कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर होगा।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Mon, 06 Feb 2017 02:50 PM (IST)Updated: Thu, 30 Mar 2017 06:00 PM (IST)
आयकर बचाने के हैं दो बेहतरीन तरीके, जानिए आपके लिए कौन सा बेहतर
आयकर बचाने के हैं दो बेहतरीन तरीके, जानिए आपके लिए कौन सा बेहतर

नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2016-17 खत्म होने में केवल दो दिन रह गए हैं। ऐसे में अगर आप इनकम टैक्स बचाने के लिए निवेश विकल्प की तलाश में है और आपका मन शेयर बाजार में निवेश करने का है तो ULIP और ELSS आपके लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं। इन दोनों ही विकल्पों के अपने अपने फायदे और नुकसान हैं। दैनिक जागरण अपनी इस खबर के माध्यम से आपको बताने की कोशिश करेगा कि इन दोनों में से कौन सा निवेश विकल्प आपके लिए मुफीद रहेगा।

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दोनों विकल्पों में क्या है सामान्य अंतर:

आपको यह बताना बेहद जरूरी है कि टैक्स बचत के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले ये दोनों ही विकल्प एक जैसे बिल्कुल नहीं होते हैं। इन दोनों में अंतर होता है। दरअसल यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) और इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ELSS) दो अलग अलग उद्देश्य की पूर्ति के लिए इस्तेमाल होने वाले निवेश विकल्प हैं। यूलिप जीवन बीमा से जुड़ा हुआ होता है और इस विकल्प की पेशकश जीवन बीमा कंपनियों की ओर से की जाती है, जबकि ईएलएसएस एक इक्विटी फंड होता है। इन दोनों ही निवेश विकल्पों से आप टैक्स की बचत कर सकते हैं।

दोनों के एक जैसे होने को लेकर भ्रम की स्थिति क्यों?: इन दोनों ही निवेश विकल्पों को लेकर भ्रम इसलिए पैदा होता है कि दोनों ही इक्विटी मार्केट्स में निवेश करते हैं और दोनों ही टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स हैं।

आपके लिए क्या बेहतर और क्यों?: इन दोनों विकल्पों में आपके लिए क्या बेहतर रहेगा आप खुद तय करें।

ULIP

  • एक इंश्योरेंस-कम-इनवेस्टमेंट प्रॉडक्ट है। इसे बीमा कंपनियां बेचती हैं।
  • यूलिप के निवेशकों के पास इक्विटी, डेट, हाइब्रिड और मनी मार्केट फंड्स में पैसा लगाने का विकल्प होता है।
  • मिनिमम सम एश्योर्ड एनुअल प्रीमियम का 10 गुना (अगर निवेश शुरू करते वक्त उम्र 45 साल से ज्यादा हो तो सात गुना) होता है।
  • यूलिप में लगभग 60 फीसद शुल्क पहले कुछ वर्षों में ले लिए जाते हैं। इनमें प्रीमियम एलोकेशन चार्ज मॉर्टेलिटी चार्ज (इंश्योरेंस कॉस्ट), फंड मैनेजमेंट फी, पॉलिसी एडमिनिस्ट्रेशन चार्ज, फंड स्विचिंग चार्ज और सर्विस टैक्स डिडक्शन शामिल होते हैं। बाकी राशि बाजार में निवेश की जाती है।
  • यूलिप के मामले में अगर आप लॉक-इन पीरियड से पहले सरेंडर कर दें तो पहले लिया गया कोई भी डिडक्शन रिवर्स हो जाता है और आपको टैक्स अदा करना पड़ता है। मैच्योरिटी एमाउंट केवल उस सूरत में टैक्स फ्री होता है, जब पॉलिसी होल्डर की मृत्यु हो जाए।
  • यूलिप में लॉक-इन पीरियड पांच वर्षों का होता है।
  • यूलिप में स्विच का विकल्प मिलता है। यानी इक्विटी, डेट, हाइब्रिड आदि विभिन्न फंड्स में आप निवेश की गई रकम का अनुपात बदल सकते हैं।

ELSS

  • ELSS एक डायवर्सिफाइड इक्विटी फंड्स हैं।
  • इनमें लगाया गया पैसा शेयरों में निवेश किया जाता है।
  • यह इनवेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स हैं और इनमें किसी भी तरह का बीमा नहीं मिलता है।
  • ELSS में केवल एक शुल्क लगता है। इसे फंड मैनेजमेंट फीस या एक्सपेंस रेशियो कहा जाता है। यह अधिकतम 2.5 फीसद हो सकता है और यह लागत स्कीम की नेट एसेट वैल्यू में एडजस्ट की जाती है, न कि अलग से ली जाती है।
  • ईएलएसएस फंड्स में एग्जेम्प्ट मोड होता है यानी इनवेस्टमेंट, कैपिटल गेंस और मैच्योरिटी एमाउंट, इन तीनों पर टैक्स नहीं लगता। इसकी वजह यह है कि आपकी रकम तीन वर्षों के लिए लॉक हो जाती है। ऐसे में जो भी कैपिटल गेन होगा, वह लॉन्ग टर्म होगा। इक्विटी में किए गए लॉन्ग टर्म निवेश से कैपिटल गेन पर टैक्स नहीं लगता है।
  • ईएलएसएस में लॉक-इन पीरियड तीन वर्षों का होता है।
  • ईएलएसएस के मामले में ऐसा कोई विकल्प नहीं होता है।

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