सरकार की यह शानदार स्कीम देती है टैक्स में छूट पाने का बेहतर मौका
आयकर धारा 80 सी के अलावा भी अगर आप टैक्स छूट चाहते हैं तो एनपीएस एक बेहतर विकल्प है
नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2017 आज खत्म होने जा रहा है। नए वित्त वर्ष से पहले लोग टैक्स बचाने के लिए तरह तरह के निवेश विकल्पों की तलाश में होते हैं। आयकर की धारा 80सी के अंतर्गत सिर्फ 1.50 लाख तक की छूट का ही प्रावधान है, लेकिन अगर आप 80सी के अलावा अतिरिक्त टैक्स छूट का फायदा उठाना चाहते हैं तो सरकार की एक स्कीम आपके लिए काफी बेहतर साबित हो सकती है और उसका नाम है नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस)। हम अपनी खबर में आपको इससे जुड़ी हर छोटी बड़ी बात बताने की कोशिश करेंगे।
कब हुई लॉन्च और क्या है मकसद:
सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम को ईईटी के तहत रखा है। जिसमें आखिर में मिलने वाले पैसे पर आपके स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स लगता है। यह योजना 1 जनवरी 2004 को लॉन्च की गई थी। इस योजना का मकसद समाज के हर तबके के लोगों को बुढ़ापे में आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराना है। इससे आप छोटी-छोटी बचत कर जीवन की दूसरी पारी के लिए पैसा जमा कर सकते हैं।
क्या है एनपीएस:
पेंशन फंड रेगुलेटरी अथॉरिटी ने 18 से 60 साल के लोगों के लिए रिटायरमेंट की आय की व्यवस्था के लिए ये स्कीम लॉन्च की है। इसमें बचत सालों तक लॉक इन रहती है। बाद में आपको एन्युटी खरीदने के लिए 80 फीसदी रकम का उपयोग करना होता। एन्युटी मतलब रिटायरमेंट तक इकट्ठा हुई रकम का निवेश करने वाले को नियमित अंतराल से पेमेंट।
अकाउंट के प्रकार:
टियर वन अकाउंट: इस अकाउंट से पैसा नहीं निकाला जा सकता है। इसको 500 रुपए या ज्यादा रकम से खुलवाया जा सकता है। आपको सालाना कम से कम 6000 का बेलेंस रखना होता है।
टियर टू अकाउंट: टियर टू अकाउंट स्वैच्छिक अकाउंट होता है। ये टियर वन अकाउंट होने पर ही खुलता है। इसको कम से कम 1,000 के डिपॉजिट से खोलना होता है। इसके बाद इसमें कम से कम 250 रुपए का निवेश किया जा सकता है। इस अकाउंट में सालाना 2,000 का बैलेंस होना जरूरी है।
क्या हैं फायदे:
- टैक्स की बचत: सरकार ने पिछले बजट में एनपीएस के लिए सेक्शन 80सीसीडी के तहत 50 हजार सालाना अतिरिक्त टैक्स छूट का प्रावधान किया है। ये छूट 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख की छूट के अतिरिक्त होगी। मतलब आप 2 लाख तक टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं।
- पोर्टेबल: निवेश करने वाले एक परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर मिलता है जो जगह और नौकरी बदलने पर भी नहीं बदलता है।
- नियामक की नजर: एनपीएस का रेगुलेटर पीएफआरडीए है। इसमें एनपीएस ट्रस्ट फंड मैनेजरों की परफॉरमेंस को देखता है ताकि किसी तरह की गड़बड़ी न हो।
- लचीलापन: आप शेयरों (50 फीसदी तक), कॉरपोरेट डेट और सरकारी सिक्योरिटीज में निवेश का विकल्प मिलता है। आप पेंशन फंड मैनेजर्स को भी चुन सकते हैं।
- कंपनी का योगदान: आपकी कंपनी सैलरी का 10 फीसदी एनपीएस में सहयोग दे सकती है। इस निवेश में 80 सी के अलावा 80 सीसीडी (2) के तहत टैक्स छूट मिलती है।
नेशनल पेंशन स्कीम का मकसद बूढ़े होने पर लोगों की आय को सुनिश्चित करना होता है जिसमें बाजार के रिटर्न भी शामिल हैं। इन 2 वजहों से ही एनपीएस रिटायरमेंट का पैसा जुटाने की अच्छी स्कीम है।