विप्रो ने 600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाला, 2000 और कर्मचारियों की छटनी संभव
विप्रो ने कंपनी से 600 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है।
नई दिल्ली (पीटीआई): देश की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सेवा कंपनी विप्रो ने अपने वार्षिक "प्रदर्शन मूल्यांकन (परफोर्मेंस अप्रेजल)” के आधार पर सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया है। अफवाह यह भी है कि यह संख्या 2,000 तक जा सकती है। आपको बता दें कि दिसंबर 2016 तक बैंगलुरु की इस कंपनी में करीब 1.79 कर्मचारी कार्यरत थे।
इस बारे में जब कंपनी से संपर्क करने की कोशिश की गई तो विप्रो ने बताया कि वह व्यापारिक उद्देश्यों, कंपनी की रणनीतिक प्राथमिकताओं और ग्राहक की आवश्यकताओं के साथ अपने कर्मचारियों को संरेखित करने के लिए नियमित आधार पर कठोर परफोर्मेंस अप्रेजल प्रोसेस को अपनाती है। कंपनी ने आगे बताया, “परफोर्मेंस अप्रेजल में कुछ कर्मचारियों को कंपनी से बाहर भी निकाला जा सकता है और इनकी संख्या सालाना आधार पर अलग-अलग होती है।”
कंपनी ने हालांकि यह जानकारी नहीं दी कि इस साल कंपनी छोड़ने वाले कर्मचारियों की संख्या कितनी रही। कंपनी ने बताया कि उसकी व्यापक परफोर्मेंस इवेल्यूशन प्रोसेस में कर्मचारियों को सलाह देना, उनकी रि-ट्रेनिंग और उन्नयन शामिल रहता है। गौरतलब है कि कंपनी अपनी चौथी तिमाही के वित्तीय परिणामों की घोषणा 25 अप्रैल को करेगी।
आईटी सेक्टर में नहीं थम रही हैं दिक्कतें:
आईटी सेक्टर में जॉब की दिक्कतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। विप्रो से पहले ग्लोबल आईटी कंपनी काग्निजेंट से भारी मात्रा में छटनी की खबर सामने आईं थी। आईटी सेक्टर में जॉब जाने के मुख्य कारण यूएस में एच1बी वीजा के नियमों में सख्ती को माना जा रहा है। यूएस के अलावा भी जॉब के लिहाज से बड़े बाजार सिंगापुर, यूके, ऑस्ट्रेलिया में भी भारतीय इंजीनियरों को जॉब पाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ग्लोबल मार्केट में गहराते इस संकट के साथ साथ आटोमेशन भी आईटी सेक्टर में जॉब जाने की एक बड़ी वजह है।
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