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रुपये की मजबूती का कृषि निर्यात पर असर संभव

रुपये में मजबूती के चलते कृषि निर्यात को संभालने के लिए रिजर्व बैंक को भी कदम उठाने की जरूरत पड़ सकती है

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 19 May 2017 10:38 AM (IST)Updated: Fri, 19 May 2017 10:38 AM (IST)
रुपये की मजबूती का कृषि निर्यात पर असर संभव
रुपये की मजबूती का कृषि निर्यात पर असर संभव

नई दिल्ली (जेएनएन)। रुपये में मजबूती अगर इसी तरह जारी रही, तो इसका असर कृषि निर्यात पर पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में कृषि निर्यात को संभालने के लिए रिजर्व बैंक को भी कदम उठाने की जरूरत पड़ सकती है। जानी मानी वित्तीय शोध एजेंसी ईडलवाइस सिक्योरिटी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर अपनी रिपोर्ट में यह बात कही है।

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इस रिपोर्ट के मुताबिक कृषि व्यापार पर रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव का व्यापक असर पड़ता है। इसलिए डॉलर के मुकाबले जैसे-जैसे रुपया मजबूत हो रहा है, वह कृषि क्षेत्र के लिए एक नई चुनौती पेश कर रहा है। अगर रुपये में मजबूती इसी तरह जारी रही तो इससे व्यापार संतुलन की स्थिति पर असर पड़ सकता है। ऐसी स्थिति आने पर आरबीआइ को हस्तक्षेप करने की जरूरत पड़ सकती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल कृषि निर्यात में भारत की हिस्सेदारी पर रुपये की कीमत में उतार-चढ़ाव का बहुत प्रभाव पड़ता है। वर्ष 2010-13 के दौरान रुपये के मूल्य में जब गिरावट आई थी, उस समय भारतीय कृषि निर्यात में 24 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। हालांकि वर्ष 2013-15 के दौरान रुपये में मजबूती आनी शुरू हुई तो भारत की हिस्सेदारी कम होने लगी। इस अवधि में भारत के कृषि निर्यात की वृद्धि में ब्राजील, अमेरिका, यूरोप और कनाडा की तुलना में अधिक गिरावट आई। दरअसल रुपये की मजबूती से मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को लाभ होता है, जबकि कृषि पर इसका प्रतिकूल असर पड़ता है। कृषि क्षेत्र के पास इससे बचने का कोई उपाय नहीं है। हाल के दिनों में कृषि निर्यातक देशों जैसे- अर्जेटीना, थाइलैंड, इंडोनेशिया, चीन, ब्राजील, आस्ट्रेलिया और कनाडा की मुद्राओं की तुलना में रुपये में अधिक मजबूती दर्ज की गई है। बीते पांच महीने में ही रुपये की कीमत में डॉलर के मुकाबले 68 रुपये से चढ़कर 64 रुपये तक पहुंच गई।

यह तथ्य इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत कृषि वस्तुओं का शुद्ध निर्यातक है। इसका मतलब यह है कि भारत कृषि वस्तुओं के आयात की तुलना में निर्यात अधिक करता है। वित्त वर्ष 2016-17 में भारत ने 33.2 अरब डॉलर की कृषि वस्तुओं का निर्यात किया। इसमें सर्वाधिक फिशरीज प्रोडक्ट और अनाज शामिल हैं। इसके अलावा मीट, मसाले, कपास और चीनी का भी कृषि निर्यात में खासा योगदान है। वित्त वर्ष 2015-16 में ग्लोबल खाद्य मूल्यों में गिरावट के मद्देनजर भारत से कृषि वस्तुओं के निर्यात में भी कमी आई थी। हाल के दिनों में रुपया मजबूत होने से कृषि वस्तुओं का आयात सस्ता हो गया है। इसके चलते सरकार को गेहूं पर आयात शुल्क लगाना पड़ा है। इसी तरह का आयात शुल्क दालों के आयात पर भी लगाने की बात हुई है।


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