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जीएसटी की पाठशाला: GST में पंजीकरण का मिलेगा एक और मौका, पहली जून से शुरू होगी प्रक्रिया

यदि आप पिछली बार सर्विस टैक्स, उत्पाद कर या वैट का माइग्रेशन नहीं करवा पाए थे तो 1 जून के बाद आप जीएसटी में रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं

By Surbhi JainEdited By: Published: Mon, 22 May 2017 11:28 AM (IST)Updated: Mon, 22 May 2017 11:28 AM (IST)
जीएसटी की पाठशाला: GST में पंजीकरण का मिलेगा एक और मौका, पहली जून से शुरू होगी प्रक्रिया
जीएसटी की पाठशाला: GST में पंजीकरण का मिलेगा एक और मौका, पहली जून से शुरू होगी प्रक्रिया

नई दिल्ली (जेएनएन) । 1 जून से 15 दिन के लिए जीएसटी में माइग्रेशन और एनरोलमेंट की प्रक्रिया दोबारा शुरू होने जा रही है। अगर आप पिछली बार अपने सेवा कर, उत्पाद कर या वैट का माइग्रेशन करवाने में चूक गए थे तो 1 जून के बाद आप जीएसटी में पंजीकरण करवा सकते हैं। गौरतलब है कि इससे पहले सरकार ने 30 नबंवर 2016 से 30 अप्रैल 2017 के बीच अलग अलग राज्यों में जीएसटी के पंजीकरण और माइग्रेशन की प्रक्रिया शुरू की थी।

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जीएसटी की पाठशाला सीरीज में उपेंद्र गुप्ता, कमिश्नर जीएसटी पॉलिसी विंग, केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी), वित्त मंत्रालय से बातचीत कर हम आपकी ओर से पूछे गए सवालों के जवाब लेकर आए हैं।

सेवा कर, उत्पाद शुल्क और वैट के जिन असेसी ने अब तक जीएसटी के लिए माइग्रेशन नहीं किया है,क्या उन्हें एक और मौका मिलेगा? वैट के मौजूदा असेसी किस तरह माइग्रेशन कर सकते हैं?

- केंद्रीय उत्पाद शुल्क व सेवा कर और वैट के असेसी के माइग्रेशन की प्रक्रिया समान है। संबंधित कर विभाग अपने असेसी को अस्थायी आईडी और पासवर्ड देंगे। इससे वे जीएसटी के कॉमन पोर्टल जीएसटी.जीओवी.इन पर लॉग इन कर सकते है। जहां उनको अपने आवश्यक दस्तावेजों के साथ फॉर्म आरईजी-20 को भरकर प्रस्तुत करना होगा। इस प्रकार माइग्रेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। माइग्रेशन और एनरोलमेंट यानी पंजीकरण की प्रक्रिया फिलहाल कुछ दिन के लिए बंद कर दी गई है। इसे एक जून, 2017 को 15 दिन के लिए फिर खोला जाएगा। इसलिए आप अपने जरूरी कागजात तैयार रखें। अधिक जानकारी के लिए आप जीएसटी का कॉमन पोर्टल देख सकते हैं।

जीएसटी में इलेक्ट्रॉनिक वे बिल (ई-वे बिल) क्या है और इसका प्रावधान क्यों किया गया है? क्या दूसरे देशों में भी ऐसा प्रावधान है?

- ई-वे बिल एक प्रकार का दस्तावेज है जो कि माल की ढुलाई के पूर्व ऑनलाईन तैयार किया जाता है। इससे माल का परिवहन बिना किसी अवरोध के हो सकेगा, क्योंकि खेप के संबंधित सभी ब्योरे कर विभाग के डाटाबेस में उपलब्ध होंगे, जिससे उनका कहीं भी सत्यापन किया जा सकेगा। इस प्रावधान का मुख्य उद्देश्य सभी चेकपोस्टों को हटाना है। अन्य देशों में भी एक्सेस कंट्रोल सिस्टम और तकनीकों के माध्यम से वाहनों के संबंध में सूचनाएं लेने के लिए विभिन्न उपायों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

जीएसटी लागू होने के बाद अगर किसी डीलर के पास स्टॉक पड़ा है तो उस स्टॉक पर उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट कैसे मिलेगा? ऐसे व्यापारियों को क्या करना चाहिए?

-मौजूदा कर व्यवस्था से जीएसटी की व्यवस्था में जाने के लिए यह ट्रांजिशनल प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि असेसी निर्धारित दिन के स्टॉक से संबंधित शुल्क/कर के लिए इनपुट क्रेडिट प्राप्त कर सके। असेसी द्वारा दिए गए अपने पिछले रिटर्न में बैलेंस क्रेडिट जीएसटी के अंतर्गत असेसी के लिए भी क्रेडिट के रूप में उपलब्ध रहेगा। इसके अलावा यदि शुल्क-भुगतान दस्तावेज असेसी के पास उपलब्ध रहेंगे तो उसके पास रहने वाले स्टॉक पर पूर्ण क्रेडिट मिल सकेगा। अन्यथा शुल्क भुगतान दस्तावेज के उपलब्ध न होने पर उतना ही क्रेडिट दिया जाएगा जितना कि वाजिब समझा जाएगा। इसकी प्रक्रिया या पद्धति जीएसटी के ट्रांजिशन नियमों के साथ-साथ सीजीएसटी एक्ट-2017 में दी गई है।

अगर कोई डीलर किसी वस्तु या सेवा की प्राप्ति के लिए एडवांस देता है तो क्या उस पर इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा?

- अग्रिम रूप से भुगतान किए गए कर पर इनपुट क्रेडिट तब तक नहीं दिया जा सकता है, जब तक कि प्राप्तकर्ता को सभी वस्तुएं और सेवाएं प्राप्त नहीं हो जाती हैं और सीजीएसटी एक्ट-2017 की धारा 16 में दी गई सभी चारों शर्तें पूरी नहीं हो जाती है।

जीएसटी पर सवाल आपके जवाब जागरण के दैनिक जागरण ‘जीएसटी की पाठशाला’ कॉलम के तहत अपने पाठकों, कारोबारियों, लघु उद्यमियों और आम लोगों से उनके सवाल आमंत्रित कर रहा है। अगर आपके पास जीएसटी को लेकर कोई सवाल है तो हमें ईमेल, पत्र, फेसबुक पर संदेश के माध्यम से भेज सकते हैं। दैनिक जागरण में आपके सवालों का जवाब देंगे वित्त मंत्रालय के आला अधिकारी जो जीएसटी को विचार से मूर्तरूत तक लाने में पिछले दस वर्षों से सक्रिय भागीदार रहे हैं। यह कॉलम व जीएसटी की बाकी खबरें gst.jagran.com पर भी देख सकते हैं।

सवाल यहां भेजें:
जीएसटी की पाठशाला
दैनिक जागरण, 501, आइएनएस
बिल्डिंग, रफी मार्ग, नई दिल्ली-110001
ईमेल : gst@jagran.com


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