जीएसटी से जुड़े आपके डर को खत्म कर देंगे ये 6 बड़े कारण
एक जुलाई से जीएसटी लागू होने वाला है, इससे पहले ऐसे कारणों के बारे में जानिए कि क्यों GST से घबराने की जरूरत नहीं है
नई दिल्ली (जेएनएन)। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का एक जुलाई से लागू होना लगभग तय माना जा रहा है। केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली एक प्रेस कांफ्रेंस में स्पष्ट भी कर चुके हैं कि जीएसटी को 1 जुलाई से ही लागू किया जाएगा। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि उपभोक्ताओं की आपूर्ति में कुछ संभव व्यवधानों के अलावा इसके बारे में चिंता करने की ज्यादा जरूरत नहीं है। हम अपनी इस खबर के माध्यम से आपको उन 6 बड़े कारणों के बारे में बताएंगे कि आखिर क्यों आपको जीएसटी से घबराने की जरूरत नहीं है।
काफी सारी दरें
कुछ का मानना है कि जीएसटी काउंसिल के अंतर्गत तय की गईं टैक्स की दरों ने जीसटी को विकृत कर दिया है, लेकिन कुल मिलाकर इसमें कंज्यूमर (उपभोक्ता) ही लाभ पाने वाले (गेनर) के तौर पर उभरेगा। काउंसिल ने अधिकांश वस्तुओं पर टैक्स की जो दरें तय की हैं वो मौजूदा दरों के आस पास ही हैं। इसलिए जीएसटी आने के बाद किसी भी तरह आपको घबराने की जरूरत नहीं है।
जीएसटी आने के बाद राजस्व के लिहाज से सरकार को कोई बड़ा फायदा नहीं
जीएसटी के लागू होने के बाद सरकार को इससे किसी बड़े राजस्व लाभ की उम्मीद कम है क्योंकि सरकार ने खुद जीएसटी से शुद्ध राजस्व हानि की उम्मीद जताई है। कुल मिलाकर इससे उपभोक्ताओं पर कर का बोझ थोड़ा कम होगा।
कुछ वस्तुओं पर छूट
जीएसटी काउंसिल ने कुछ वस्तुओं को टैक्स के दायरे से बाहर रखा है। काउंसिल ने वैसे तो आम आदमी से जुड़ी अधिकांश वस्तुओं को जीएसटी के टैक्स स्लैब से बाहर रखा है, लेकिन उसने जिन वस्तुओं को टैक्स बास्केट में शामिल किया है उनमें कर की न्यूनतम दर तय की है। इसलिए आम उपभोग की चीजों पर कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है।
सर्विस टैक्स की दर बढ़ी लेकिन प्रभावी दर को न्यूनतम रखा
जीएसटी के अंतर्गत सर्विस टैक्स (सेवा कर) की दर उच्चतम रहेगी, लेकिन प्रोवाइडर को वैट के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट की मांग करने की सुविधा दी जाएगी। साथ ही इससे करों की कैस्केडिंग खत्म हो जाएगी। ऐसे में कर की दर उच्चतम होने की सूरत में भी कंज्यूमर के उपभोग की चीजें महंगी नहीं होंगी।
स्थाई दरें- न तो केंद्र और न ही राज्य आसानी से कीमतें बढ़ाने में सक्षम होंगे। यानी ऐसा होने के टैक्स की दरें स्थाई होंगी। इसका मतलब यह हुआ कि उपभोक्ताओं को कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा।
निगरानी के लिए एक इकाई का गठन
जीएसटी के क्रियान्वयन के बाद इसकी निगरानी के लिए एक एंटी प्रॉफिटियरिंग बॉडी का गठन किया जा रहा है। ऐसे में अगर कोई बिजनेस इकाई जीएसटी का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाता है, तो उसे परेशानी उठानी पड़ सकती है।