जीएसटीः जॉब वर्कर नहीं ले पाएंगे कंपोजिशन स्कीम का लाभ
जीएसटी के अंतर्गत कंपोजीशन स्कीम का फायदा जॉब वर्कर को नहीं मिल पाएगा
सवाल: हम इलेक्ट्रोप्लेटिंग काम के जॉब वर्क में हैं। हमारा कुल सालाना कारोबार 30 लाख का है, जो कंपोजिशन स्कीम की छूट की सीमा 75 लाख से कम है। हम कंपोजिशन स्कीम का लाभ उठा सकते हैं?
जवाब: जीएसटी एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक कंपोजिशन स्कीम का लाभ केवल ट्रेडर्स और मैन्युफैक्चररर्स को ही मिल सकता है। सेवा प्रदाता के केस में कंपोजिशन स्कीम केवल रेस्टोरेंट व्यवसाय से जुड़े लोग अपना सकते हैं। चूकि आप जॉब वर्कर है और सेवा प्रदाता हैं, लिहाजा आप कंपोजिशन स्कीम अपनाने के हकदार नहीं है।
सवाल: मैं रेडिमेड गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग में हूं और जॉब वर्क पर काम करवाता हूं। मैं जॉब वर्कर के स्थान से माल बेच सकता हूं।
जवाब: हां आप जॉब वर्कर के स्थान से माल बेच सकते हैं, लेकिन तभी जब आपका जॉब वर्कर जीएसटी एक्ट में रजिस्टर्ड हो। यदि आपका जॉब वर्कर रजिस्टर्ड नहीं है और आप जॉब वर्कर के स्थान से माल बेचना चाहते हैं तो ऐसी स्थिति में आपको जॉब वर्कर के स्थान को आपका एडिशनल प्लेस ऑफ बिजनेस घोषित करना होगा।
सवाल: हम ऐसे रजिस्टर्ड डीलर से माल खरीदें, जिसने कंपोजिशन स्कीम अपनाई है तो क्या ऐसी खरीद की इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगी।
जवाब: ऐसी खरीदी की इनपुट टैक्स क्रेडिट आपको नहीं मिलेगी। इसकी वजह यह है कि कंपोजिशन अपनाने वाले व्यापारी टैक्स इनवायस जारी नहीं कर पाएंगे और उसके बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल सकती है।
सवाल: हमारी कंपनी 30 दिन की उधारी पर माल बेचती है। जो व्यापारी इस अवधि में भुगतान नहीं कर पाते हैं। इन पर हमारी कंपनी हर महीने 2 फीसदी लेट फीस लगाती है। इस पर जीएसटी जमा करना होगा?
जवाब: जीएसटी एक्ट की धारा 15(2) में दिए गए वैल्यू ऑफ सप्लाई के प्रावधान के मुताबिक माल बेचने के बाद खरीदने वाला व्यापारी समय पर बिल का भुगतान न करें और उसके बाद भुगतान के साथ पेनल्टी या लेट फीस दे तो ऐसी रकम भी विक्रय मूल्य में जोड़ी जाएगी और उस पर जीएसटी जमा करना होगा।
सवाल: जीएसटी में किसी व्यापारी को टैक्स कब जमा करना होगा?
जवाब: टैक्स अगले महीने की 20 तारीख तक जमा करना होगा। ऐसे व्यापारी जिन्होंने कंपोजिशन स्कीम अपना रखी हो उन्हें टैक्स तीन महीने में जमा करना होगा। मतलब तिमाही खत्म होने के बाद अगली 20 तारीख को।
तैयारी के लिए 3 दिन शेष
अपने-अपने स्टाफ को नए सिरे से ट्रेनिंग देना शुरू कर दें। उन्हें जीएसटी से जुड़े सभी पहलुओं को समझाए और किस तरह से बिल तैयार किए जाएं, यह भी बताएं।
(यह आर्टिकल मनोज पी. गुप्ता, सीए से पूछे गए सवालों के जवाब पर आधारित है।)