वित्त मंत्री ने गिनाईं अर्थव्यवस्था की तीन नीतिगत चुनौतियां, जानिए
जेटली का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी का अल्पावधि में पड़ने वाला प्रभाव खत्म हो गया है
नई दिल्ली (जेएनएन)। रोजगार, निवेश में आई वैश्विक मंदी और अमेरिकी फेड रिजर्व के फैसलों से पड़ने वाले प्रभाव तीन बड़ी नीतिगत चुनौतियां हैं जो कि उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित करती हैं। यह बात केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कही है।
इंटरनैशनल मॉनिटरी एंड फाइनेंस कमिटी (IMFC) की एक चर्चा में अरुण जेटली ने कहा, “सामान्य मौद्रिक स्थितियों को बहाल करने के लिए यूएस फेडरल रिजर्व की ओर से उठाए जाने वाले कदमों से उभरते हुए बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्था वाले देशों को लिए जोखिम बना रहता है। इसके अलावा निवेश में मंदी और रोजगार, ये तीन नीतिगत चुनौतियां हैं।”
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि अमेरिका में मौद्रिक नीति सख्त होने से उभरती हुई अर्थव्यवस्था वाले देशों से पूंजी का प्रभाव होने लगता है जिससे चालू खाता घाटा (करंट अकाउंट डेफिसिट) प्रभावित होता है। जेटली ने आगे कहा कि सरकार के लिए प्राथमिकता लाखों युवाओं के लिए नौकरियों के अवसर पैदा करना है, जो हर साल तेजी से बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा, “भारत वर्तमान समय में अपने डेमोग्राफिक ट्रांजिशन के चलते दुनिया की कुछ बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और सरकार के लिए इस समय सबसे बड़ी प्राथमिकता ऐसे तरीके तलाशना है जिससे हर साल बढ़ रहे 1.20 करोड़ युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया कराए जा सकें।”
वित्त मंत्री अरुण जेटली जो कि इस समय इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) और वर्ल्ड बैंक की सालाना बैठकों के लिए भारतीय डेलिगेशन के साथ अमेरिका में हैं का कहना है कि नोटबंदी और जीएसटी का अल्पावधि में पड़ने वाला विपरीत प्रभाव अब खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग के हालिया डेटा बताते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था ग्रोथ की ओर लौट रही है।