बेनामी संपत्ति: 10 साल पुराना रिकॉर्ड खंगाल रहा है आयकर विभाग
आयकर विभाग पिछले 10 वर्षों में एक करोड़ रुपये से ज्यादा के हुए बेनामी सौदों की जांच कर सकता है
नई दिल्ली (जेएनएन)। सरकार बेनामी संपत्ति के संबंध में पिछले 10 वर्षों के रिकॉर्ड खंगालने की तैयारी कर रही है। एक अंग्रेजी समाचार पत्र बिजनेस स्टैंडर्ड में प्रकाशित खबर के मुताबिक देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने संपत्ति को पंजीकृत करने वाले सब-रजिस्ट्रार्स और तहसीलदारों से बीते दस वर्षों के दौरान उन सभी संपत्ति सौदों की जानकारी मांगी है जिनकी कीमत एक करोड़ रुपए या इससे ज्यादा है।
मुंबई और इसके शहरों में कुल 25 रजिस्ट्रार कार्यालय हैं, एक अनुमान के मुताबिक हर वर्ष इन कार्यालयों में 45 हजार से लेकर 50 हजार तक की संपत्तियां पंजीकृत होती हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट यह जानना चाहता है कि कहीं पंजीकृत होने वाली संपत्तियां बेनामी तो नहीं हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि ब्लैकमनी को ठिकाने लगाने के लिए लोग ज्यादातर प्रॉपर्टी में ही निवेश करते हैं।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट पूरी जानकारी लेने के बाद जांच करेगा कि जिसके भी नाम पर संपत्ति है क्या वह असल में उसका खरीदार भी है, या नहीं। डिपार्टमेंट संपत्ति और उसके मालिक को लेकर संदेह की स्थिति में पूरे मामले की जांच कर सकता है। जांच में बेनामी संपत्ति निकलने है पर कानून के तहत विभाग उस मामले में कार्रवाई करेगा।
क्या होती है बेनामी संपत्ति?
• ऐसी संपत्ति जो बिना नाम की होती है उसे बेनामी संपत्ति कहते हैं।
• इसके तहत लेनदेन उस शख्स के नाम पर नहीं होता जिसने संपत्ति के लिए कीमत चुकाई है, बल्कि यह किसी अन्य शख्स के नाम पर होता है।
• जब संपत्ति खरीदने वाला अपने पैसे से किसी और के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदता है तो यह बेनामी प्रॉपर्टी कहलाती है। खरीदार अगर परिवार के किसी व्यक्ति या किसी करीबी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदे तब भी प्रॉपर्टी बेनामी मानी जाएगी।
• बेनामी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति कानून मिलकियत अपने नाम नहीं रखता,हालांकि वो प्रॉपर्टी पर कब्जा रखता है।
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