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RERA इफेक्ट: नया घर बुक करने से पहले जान लें ये बात

नया मकान खरीदते समय आपको कुछ सावधानियां बरतनी होगी नहीं तो आप मुश्किल में आ सकते हैं

By Praveen DwivediEdited By: Published: Wed, 09 Aug 2017 01:09 PM (IST)Updated: Thu, 17 Aug 2017 12:04 PM (IST)
RERA इफेक्ट: नया घर बुक करने से पहले जान लें ये बात
RERA इफेक्ट: नया घर बुक करने से पहले जान लें ये बात

नई दिल्ली (जेएनएन)। अगर आप अपने सपनों का घर लेने की योजना बना रहे हैं तो आपको कुछ अहम बातों का खास ध्यान रखना होगा, नहीं तो आपके सपनों का घर सपना बनकर ही रह जाएगा। आपको बता दें कि जिस समय बिल्डर्स रियल एस्टेट विनियमन अधिनियम (रेरा) से बचने की जुगत में हैं उसी समय बैंकों ने आरबीआई से सलाह मशविरा कर यह फैसला लिया है कि जो भी प्रोजक्ट रेरा के अंतर्गत रजिस्टर्ड नहीं होगा उससे जुड़ी किसी भी प्रॉपर्टी के लोन को मंजूरी नहीं दी जाएगी।

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट:
अंतरिक्ष इंडिया ग्रुप के सीएमडी राकेश यादव ने दैनिक जागरण डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि रेरा के अंतर्गत सब कुछ सिस्टमेटिक किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि नॉन रजिस्टर्ड डेवलपर से घर खरीदना आपके लिए मुश्किलें पैदा करने वाला होगा। ऐसे में बॉयर्स को सलाह दी जाती है कि वो ऐसे डेवलपर से ही प्रॉपर्टी खरीदें जिसने खुद को रेरा के अंतर्गत रजिस्टर्ड करवा रखा हो। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जो भी डेवलपर रेरा के अंतर्गत रजिस्टर्ड नहीं है वो जल्द से जल्द रजिस्ट्रेशन करवा लें वर्ना उनके लिए कारोबार करना मुश्किल हो जाएगा।

एक बैंक कर्मी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमने सुरक्षा संबंधी कुछ प्रक्रियाओं को अपनाया है। जब से रेरा को तैयार किया गया है हमने गलत आपरेटर्स को बाहर करने की तैयारी की है। हमने तय किया है कि इसके साथ पंजीकृत न होने वाली परियोजनाओं में किसी भी लोन की अर्जी को आगे न बढ़ाया जाए।”

एक सरकारी बैंक के अधिकारी ने बताया, “हम बहुत आशंकित हैं क्योंकि यहां तक कि अगर हम कानून के तहत निर्धारित ऋणों का भुगतान करते हैं, जिस तरह से यह डिज़ाइन किया गया है, तो ये हमारे कर्ज को सुरक्षा प्रदान नहीं करता है।”

क्या कहता है रेरा कानून:
रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम-2016 (आरईआरए) के तहत एक डेवलपर को एक अलग खाते में बायर्स के लिए गए पैसे का 70 फीसद हिस्सा बनाए रखना होता है। ऐसे में किसी अन्य उद्देश्य की पूर्ति के लिए उनके पास सिर्फ 30 फीसद रकम बचती है, जबकि पहले यह 100 फीसद हुआ करती थी। इंडस्ट्रियल बॉडी की ओर से डेवलपर्स को रेरा के अंतर्गत खुद को रजिस्टर्ड करवाने के लिए जोर देने के बावजूद स्थिति संतोषजनक नहीं है।


जानिए इससे जुड़ी खास बातें

  • सरकार ने घर खरीदारों की रक्षा के लिए और वास्तविक निजी खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने यह कानून पेश किया है।
  • रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) विधेयक, 2016 संसद की ओर से पिछले साल मार्च में पारित कर दिया गया था और 1 मई से ही इस अधिनियम से जुड़ी 92 धाराएं प्रभावी हो जाएंगी।
  • शहरी विकास, आवास तथा शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्री एम वेंकैया नायडू ने बताया, “9 साल के लंबे इंतजार के बाद रियल एस्टेट कानून लागू होने जा रहा है और यह नए युग की शुरुआत है। कानून खरीदार को तवज्जो देगा। इस अधिनियम से क्षेत्र में बहुत अधिक जवाबदेही, पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित होगी।
  • डेवलपर्स को अब उन चल रही परियोजनाओं को पूरा करना होगा, जिन्हें पूर्णता प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। साथ ही नए लॉन्च होने वाले प्रोजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन भी 3 महीने के भीतर प्राधिकरण में कराना होगा।
  • रेरा के तहत सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए प्राधिकरण बनाना अनिवार्य है।
  • परियोजनाओं और रियल एस्टेट एजेंटों के अनिवार्य पंजीकरण के अलावा इस अधिनियम के कुछ प्रमुख प्रावधानों में परियोजना के निर्माण के लिए एक अलग बैंक खाते में खरीदार से एकत्रित धन का 70 फीसद हिस्सा जमा कराना शामिल है। यह परियोजना के समय पर पूरा होने को सुनिश्चित करेगा क्योंकि केवल निर्माण उद्देश्यों के लिए ही धन निकाला जा सकता है।

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