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त्योहारी सीजन में भारी ऑनलाइन बिक्री से बढ़ी डिलीवरी ब्वॉय की टेंशन

त्योहारी सीजन के दौरान भारी ऑनालइन शॉपिंग से डिलिवरी ब्वॉय की जिम्मेदारियां बढ़ जाती है

By Surbhi JainEdited By: Published: Mon, 16 Oct 2017 11:25 AM (IST)Updated: Mon, 16 Oct 2017 11:25 AM (IST)
त्योहारी सीजन में भारी ऑनलाइन बिक्री से बढ़ी डिलीवरी ब्वॉय की टेंशन
त्योहारी सीजन में भारी ऑनलाइन बिक्री से बढ़ी डिलीवरी ब्वॉय की टेंशन

नई दिल्ली (जेएनएन)। कोई त्योहार आते ही ई-कॉमर्स कंपनियों का कारोबार बढ़ जाता है। इसके साथ ही बढ़ जाती है डिलीवरी ब्वॉय की जिम्मेदारी। त्योहार के उन व्यस्त घंटों में जब आप अपनी खुशियां खरीदने में लगे होते हैं, ये डिलीवरी ब्वॉय अपनी सब कुछ भूलकर आप तक खुशियों की डिलीवरी कर रहे होते हैं।

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20 से 30 साल की उम्र, कंधे पर भारी सा बैग लटकाए, सीढ़ियां चढ़ते-उतरते, लिफ्ट में आते-जाते और लाल बत्ती पर पसीना पोंछते डिलीवरी ब्वॉय। त्योहार के दिनों में सही वक्त पर आपके घर तक खुशियों की डिलीवरी करने की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर होती है। ऐसे ही एक डिलीवरी ब्वॉय हैं निबेश यादव।

निबेश को सुबह आठ बजे तक हर हाल में घर से निकल जाना होता है। वह अपनी बाइक में पेट्रोल और हवा देखते हैं, दिन भर के ऑर्डर को बड़े से बैग में लादते हैं और निकल पड़ते हैं डिलीवरी के लिए। यह उनके लिए सबसे ज्यादा व्यस्त समय है। उनके बड़े से बैग में आंखों के काजल व कपड़ों से लेकर मिक्सर ग्राइंडर और मोबाइल फोन तक सब होता है। शहर के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक लोग अपने-अपने सामान के इंतजार में रहते हैं। रात के आठ बजे से पहले इनमें से हर किसी के पास सामान पहुंचाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर रहती है। ग्राहक उपहार भेजने और पाने का जश्न मनाते हैं। ऑनलाइन कंपनियां अपने टर्नओवर को लेकर खुश होती हैं, लेकिन इन डिलीवरी ब्वॉय की मुश्किलों की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। अगली बार कोई आपके घर तक खुशियों की डिलीवरी लेकर आए, तो कुछ खुशी उसके चेहरे पर भी लाने की कोशिश जरूर कीजिएगा।

एक शिकायत पड़ जाती है भारी
अपना सब कुछ भूलकर लोगों के घर तक खुशियां पहुंचाने में लगे इन युवाओं की खुशी कई बार ग्राहक की एक छोटी सी शिकायत से काफूर हो जाती है। इन्हें डिलीवरी रात के आठ बजे से पहले करनी होती है। देर होते ही कई ग्राहक सीधा कंपनी को ईमेल कर देते हैं। बहुत बार ग्राहक इन्हें अपमानित भी करते हैं। निबेश ने बताया कि कई लोगों का व्यवहार बहुत अपमानजनक होता है। लोग यह नहीं सोचते कि देरी जानबूझकर नहीं की जाती। देरी मौसम, ट्रैफिक या कई बार किसी दुर्घटना की वजह से भी हो जाती है।

दो तरह से करते हैं काम
ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए डिलीवरी का काम दो तरह से होता है। कुछ डिलीवरी ब्वॉय होते हैं, जिन्हें कंपनियां खुद नियुक्त करती हैं। ऐसे डिलीवरी ब्वॉय नियमित होते हैं। उन्हें कंपनी की ओर से बीमा, भत्ता और अन्य सुविधाएं मिलती हैं। वहीं निबेश की तरह कुछ लोग स्वतंत्र रूप से काम करते हैं। कंपनियां त्योहार के दिनों में ऐसे लोगों की सेवा लेती हैं। इन्हें किसी प्रकार की अतिरिक्त सुविधा कंपनी की ओर से नहीं दी जाती। मोटरसाइकिल में लगने वाले पेट्रोल से लेकर हर खर्च उन्हें खुद ही करना होता है।

मिलते हैं 20 रुपये से भी कम
त्योहारों के व्यस्त समय में निबेश की तरह हजारों की संख्या में डिलीवरी ब्वॉय एक दिन में 200 तक पैकेजों की डिलीवरी करते हैं। निबेश ने बताया कि अमेजन से हर पैकेट पर 18 रुपये और मिंट्रा व जबोंग से 14 रुपये मिलते हैं। श्रम बाजार के हिसाब से देखा जाए तो इनके काम के घंटे ज्यादा होते हैं, लेकिन मिलने वाला पैसा कम। व्यस्त दिनों में इन्हें 12 घंटे से ज्यादा समय तक अपनी मोटरसाइकिल पर एक छोर से दूसरे तक आने-जाने में गुजारना होता है। भारी सामान होने की स्थिति में कभी-कभी उन्हें दफ्तर के दो से तीन चक्कर भी लगाने पड़ते हैं। इस हालत पर निबेश ने दार्शनिक से अंदाज में कहा, ‘मुश्किल तो है, लेकिन जो है, यही है।’


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