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नोटबंदी की मार, छिना 1.52 लाख कैजुअल वर्कर्स का रोजगार

एक रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के फैसले का असर सबसे ज्यादा कैजुअल वर्कर्स पर देखने को मिला है।

By Praveen DwivediEdited By: Published: Sun, 21 May 2017 02:31 PM (IST)Updated: Sun, 21 May 2017 02:31 PM (IST)
नोटबंदी की मार, छिना 1.52 लाख कैजुअल वर्कर्स का रोजगार
नोटबंदी की मार, छिना 1.52 लाख कैजुअल वर्कर्स का रोजगार

नई दिल्ली (पीटीआई)। केंद्र सरकार की ओर से बीते साल 8 नवंबर को लिए गए नोटबंदी के फैसले का असर सबसे ज्यादा कैजुअल वर्कर्स पर देखने को मिला है। ऐसा लेबर ब्यूरो की एक रिपोर्ट में कहा गया है। गौरतलब है कि 8 नवंबर की देर शाम राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपए के पुराने नोटों को अमान्य करने की घोषणा कर दी थी।

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क्या कहती है रिपोर्ट:

लेबर ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के चलते कम से कम 1.52 लाख के करीब कैजुअल वर्करों ने अपनी नौकरियां गंवाई हैं। यह रिपोर्ट आईटी, ट्रांसपोर्ट और मैनुफैक्चरिंग समेत 8 सेक्टरों पर आधारित है। ब्यूरो ने ये आकंड़ें 1 अक्टूबर 2016 से 1 जनवरी 2017 के बीच गई नौकरियों के आधार पर पेश किए हैं।

फुल टाइम वर्करों की संख्या में इजाफा:

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि नोटबंदी के बाद फुल-टाइम वर्करों की संख्या में 1.68 लाख का इजाफा हुआ है वहीं 46,000 पार्ट-टाइम वर्करों की संख्यां में कमी आई है। अक्टूबर से दिसंबर के दौरान कॉन्ट्रैक्ट और नियमित नौकरियों में क्रमश: 1.24 लाख और 1.39 लाख की बढ़ोतरी देखी गई। बीती तिमाही (जुलाई-सितंबर) में 8 सेक्टरों में 1.22 लाख नौकरियों का इजाफा हुआ है।


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