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भारत को दाल निर्यात करने वाले देशों को बड़ा झटका, दालों का आयात कम होने के आसार

देश में दलहन फसलों की बंपर पैदावार के बाद दालों के आयात के आसार कम हो गए हैं।

By Surbhi JainEdited By: Published: Fri, 18 Aug 2017 01:39 PM (IST)Updated: Fri, 18 Aug 2017 01:39 PM (IST)
भारत को दाल निर्यात करने वाले देशों को बड़ा झटका, दालों का आयात कम होने के आसार
भारत को दाल निर्यात करने वाले देशों को बड़ा झटका, दालों का आयात कम होने के आसार

नई दिल्ली (सुरेंद्र प्रसाद सिंह)। भारत को दाल बेचकर नफा कमाने वाले देशों को भारी झटका लगा है। देश में दलहन फसलों की पैदावार 2.30 करोड़ टन के शीर्ष पर पहुंच गई है। इससे दालों के आयात के आसार कम हो गए हैं। अरहर के आयात पर रोक लगने के बाद अन्य दलहन फसलों की उपलब्धता को देखते हुए सरकार प्रतिबंध पर विचार कर सकती है। इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा। साथ ही, पर्याप्त उपलब्धता के चलते उपभोक्ताओं को सस्ती दालें सुलभ होंगी।

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दालों की मांग व आपूर्ति के बढ़ते फासले से त्रस्त सरकार और उपभोक्ताओं के लिए खाद्यान्न की पैदावार के ताजा आंकड़े राहत देने वाले हैं। घरेलू बाजारों में दलहन के कम मूल्य के चलते आयात लगभग ठप है। दलहन की अब तक की सर्वाधिक पैदावार 2.30 करोड़ टन हुई है। दालों की कमी को पूरा करने लिए हर साल 40 लाख टन के आसपास दालों का आयात किया जाता है। इस पर कई हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ती है। इससे पहले वर्ष 2013-14 में 1.92 करोड़ टन दालों का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था।

घरेलू मांग व कीमतों को देखते हुए दुनिया के कई देशों में दलहन फसलों की खेती जोरशोर से की गई, ताकि जरूरत पड़ने पर भारत को दालें बेचकर अच्छा नफा कमाया जा सके। लेकिन घरेलू दलहन की बंपर पैदावार से भारत को दाल निर्यात करने वाले देशों को भी करारा झटका लगा है। म्यांमार और कई अफ्रीकी देशों में अरहर की खेती का रकबा बढ़ गया था। बाजार में अरहर के मूल्य में तेज गिरावट को थामने के लिए सरकार ने तत्काल आयात पर रोक लगा दी है। उड़द, मसूर और मूंग के आयात पर भी प्रतिबंध लगना चाहिए, ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य बाजार में मिल सके।

कारगर रही सरकार की रणनीति:
कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने दलहन फसलों की बढ़ी पैदावार के बारे में बताया कि यह अच्छी व कारगर रणनीति का नतीजा है। दलहन खेती को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं शुरू की गईं। इनमें किसानों को उन्नत किस्म के दलहन बीज मुहैया कराना प्रमुख था। 15 लाख से अधिक किसानों को मिनी किट उपलब्ध कराई गईं।

20 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार:
घरेलू बाजार में दालों की आसमान छूती कीमतों ने भी किसानों को खूब लुभाया। खुले बाजार में बढ़ी कीमतों के दबाव में केंद्र सरकार को दलहन के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में अप्रत्याशित वृद्धि करनी पड़ी। किसानों को भरोसा दिलाने के लिहाज से सरकार ने दलहन फसलों की सरकारी खरीद का बंदोबस्त भी किया। नतीजतन, दलहन का पहली बार 20 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार किया गया। खुले बाजार समेत किसानों से कुल 16 लाख टन दालें खरीदी गईं।

दलहन की रिकॉर्ड तोड़ पैदावार:
कृषि मंत्रालय के चौथे अग्रिम अनुमान के मुताबिक फसल वर्ष 2016-17 में कुल 2.30 करोड़ टन दलहन की पैदावार हुई है। इसमें चने का उत्पादन 93.3 लाख टन रहा है। जबकि उपभोक्ताओं को सबसे अधिक परेशान करने वाली अरहर की रिकॉर्ड तोड़ पैदावार 48 लाख टन हुई है। इसी तरह उड़द की रिकॉर्ड पैदावार 28 लाख टन दर्ज की गई है।


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