कब बैंक से लिया गया लोन बन जाता है NPA, जानिए
क्या आप जानते हैं कि किसी बैंक की ओर से दिया गया कर्ज किस स्थिति में एनपीए की श्रेणी में आ जाता है।
नई दिल्ली: देश के बैंकों के सामने इस वक्त सबसे बड़ी समस्या एनपीए की है, जिन्हें फंसा हुआ कर्ज कहा जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए हाल ही में देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने आरबीआई के सामने बैड बैंक का प्रस्ताव रखा था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी बैंक का फंसा हुआ कर्ज किस स्थिति में एनपीए की श्रेणी में आ जाता है। हम अपनी खबर में आपको यही बताने की कोशिश करेंगे। गौरतलब है कि बैंक्स बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) के चेयरमैन ने भी फंसे हुए कर्ज पर बैंकों के रूख पर नाराजगी जताई है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुताबिक जब किसी लोन की ईएमआई, प्रिंसिपल अमाउंट या इंटरेस्ट (ब्याज) ड्यू डेट के 90 दिन के भीतर नहीं आता है तो उसे एनपीए की श्रेणी में डाल दिया जाता है। हालांकि एग्री और फॉर्म लोन के संदर्भ में एनपीए की परिभाषा अलग तरीके से तय की गई है....
एनपीए निम्नानुसार परिभाषित है: अल्प अवधि के लिए फसल कृषि ऋण जैसे कि धान, ज्वार, बाजरा आदि के मामले में अगर 2 फसल सीजन के लिए ऋण (किस्त/ब्याज) का भुगतान नहीं किया गया है, तो इसे एनपीए माना जाएगा। वहीं लंबी अवधि की फसलों के लिए 1 फसल का मौसम बीत जाने के बाद तक अगर लोन की राशि का भुगतान नहीं हुआ है तो भी वह एनपीए कहलाएगा।
एनपीए पर बैंकों के रूख से विनोद राय नाराज:
नॉन परफॉर्मिंग ऐसेट या बैड लोन के निपटारे की दिशा में बैंकों के रुख से बैंक्स बोर्ड ब्यूरो (बीबीबी) के चेयरमैन विनोद राय नाराज हैं। इस संबंध में विनोद राय ने वित्त मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को कड़े शब्दों में एक पत्र लिखा है। हाल ही में पीएमओ में बैड लोन पर एक बैठक हुई थी, जिसमें राय भी शामिल हुए थे। सरकारी अधिकारियों ने बताया कि इस बैठक के बाद ही विनोद राय की ओर चिट्टी भेजी गई है।