तेजस्वी मामले में अब JDU के कोर्ट में बॉल, नीतीश के फैसले पर टिकी नजरें
बिहार के सत्ताधारी महागठबंधन में महाभारत खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। तेजस्वी मामले में अब जदयू के कोर्ट में बॉल है। अब नीतीश के फैसले पर सबों की नजरें टिकी हैं।
पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार की महागठबंधन सरकार में तनाव चरम पर है। राजद की ओर से यह स्पष्ट कर देने के बाद कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे, बॉल अब फिर से जदयू के पाले में आ गई है। जदयू ने उन्हें जनता की अदालत में सफाई देने का अल्टीमेटम दिया था, जिसकी मियाद खत्म हो चुकी है। राष्ट्रपति चुनाव संपन्न होने के बाद अब सबकी नजरें फिर से जदयू पर टिक गई हैं।
विदित हो कि बीते दिनों राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के ठिकानों पर सीबीआइ ने छापेमारी की थी। इस सिलसिले में सीबीआइ ने लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी व डिप्टी सीएम पुत्र तेजस्वी यादव सहित कइयों पर एफआइआर दर्ज की। तेजस्वी के खिलाफ एफआइआर दर्ज होने के बाद भाजपा ने तेजस्वी के इस्तीफा का दबाव बनाया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नाम लिए बगैर कहा कि वे भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करने वाले तथा 'जिनपर आरोप लगा है', वे अपनी बेगुनाही का प्रमाण दें। हालांकि, जदयू के प्रधान राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने यह सफाई दी है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसी भी मंच से तेजस्वी यादव का इस्तीफा नहीं मांगा है। लेकिन, इसे काफी विलंब से दिया गया बयान माना जा रहा है। इससे पहले ही राजद ने अपनी कई बैठकों के बाद यह स्पष्ट कर दिया है कि तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे।
राजनीतिक हलके में यह कयास लगाया जा रहा था कि राष्ट्रपति चुनाव के संपन्न होने के बाद जदयू की ओर से इस मसले पर कोई निर्णय लिया जाएगा। जदयू के कई विधायकों का मानना है कि तेजस्वी यादव को लेकर जल्द कोई फैसला होना चाहिए।
राष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने आए जदयू विधायक श्याम बहादुर सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि राजद से अब गठबंधन तोड़ लेना चाहिए। जदयू, भाजपा के साथ ही ठीक था और उसे फिर भाजपा से गठबंधन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव अगर इस्तीफा नहीं दें, तो उन्हें बर्खास्त किया जाए।
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ऐसी बयानबाजी ने महागठबंधन पर छाया संकट और गहरा कर दिया है। तेजस्वी यादव पर निर्णय लेने के संबंध में पूछे जाने पर जदयू के प्रदेश प्रवक्ता डा. अजय आलोक ने कहा कि उचित राजनीतिक निर्णय उचित समय पर लिए जाते हैं। यह महागठबंधन हड़बड़ी में नहीं, बल्कि बहुत सोच समझ कर बना था। अभी भी हम हड़बड़ी में कोई फैसला नहीं लेंगे। हम सभी विकल्प देख रहे हैं। ऐसा कोई निर्णय नहीं लेंगे जिसका आगे कोई गलत परिणाम निकले।
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