जानिए वह पांच बड़े विवाद जिसके बाद अलग हुए नीतीश कुमार और लालू यादव
महागठबंधन में करीब 20 दिनों चले आ रहे नूरा-कुश्ती का दौर समाप्त हो चुका है। नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया है।
पटना [जेएनएन]।बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने चल रहे सियासी सरगर्मी के बीच इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने यह साफ कर दिया कि किसी भी कीमत पर वे भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति से समझौता नहीं कर सकते हैं। यही वजह है कि जब राजद विधानमंडल दल की बैठक के बाद अंतिम रूप से जब यह तय हो गया कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे तो उन्होंने खुद ही इस्तीफा दे दिया।
नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद लालू यादव ने मीडिया से मुखातिब होते हुए कहा कि नीतीश कुमार खुद 302 और 307 के मुदाले हैं, वो भ्रष्टाचार के केस का आरोप लगने पर इस्तीफा कैसे मांग सकते हैं। वह भी तेजस्वी पर यह आरोप तब लगा था, जब उसकी मूछें भी नहीं आयी थी। भष्टाचार से बड़ा है अत्याचार होता है। नीतीश कुमार एक नागरिक की हत्या का मुदाले हैं। सब आरएसएस से मिले हुए हैं। राज्यहित में जो जरूरी होगा वो हम देखेंगे।
करीब 20 दिनों से चले आ रहे हैं राजनीतिक कयासों के दौर नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ ही खत्म हो गये हैं। अब हम आपको बता रहे हैं वह पांच बड़े विवाद जिसके बाद नीतीश कुमार को यह बड़ा कदम उठाना पड़ा।
पहली घटना
5 जुलाई को सीबीआइ ने लालू प्रसाद, राबड़ी देवी व तेजस्वी यादव समेत आठ लोगों पर एफआरआइ दर्ज किया। नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव से जनता के बीच तथ्यों पर आधारित स्पष्ट जवाब देने को कहा। लालू प्रसाद ने कहा, तेजस्वी यादव इस्तीफा नहीं देंगे।
दूसरी घटना
राष्ट्रपति चुनाव में जदयू ने एनडीए उम्मीदवार को समर्थन दिया। इस पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने कहा, नीतीश ऐतिहासिक भूल कर रहे हैं, अपने फैसले पर पुनर्विचार करें।
तीसरी घटना
जदयू द्वारा तेजस्वी यादव के इस्तीफे को लेकर दबाव बढ़ा तो राजद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि पर हमला किया। राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह कहा, भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस का ढोंग कर रहे हैं नीतीश। राजद के इस हमले को जदयू ने अपने नेता का अपमान माना। जदयू-राजद के बीच तल्खी और बढ़ी। छवि को लेकर बेहद संवेदनशील रहने वाले नीतीश कुमार के लिए महागठबंधन को चलाना मुश्किल हो गया।
चौथी घटना
एनडीए के विरुद्ध विपक्ष की एकजुटता को लेकर राजद ने 27 अगस्त को गांधी मैदान में भाजपा भगाओ रैली की एकतरफा घोषणा की। इससे भी जदयू-राजद के बीच दूरी बढ़ी।
पांचवी घटना
नीतीश कुमार को लेकर कांग्रेस ने भी तंज कसा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश सिंह ने कहा, कांग्रेस को नीतीश की जरूरत नहीं। इससे भी महागठबंधन में दूरी बढ़ी।