बिहार के मंत्री खुर्शीद आलम को करना होगा दुबारा निकाह, जानिए क्यों
बिहार के अल्पसंख्यक मंत्री खुर्शीद आलम की माफी अभी अधूरी है। दोबारा कलमा पढ़ने के साथ ही अपनी बीवी के साथ उन्हें निकाह भी दुबारा से पढ़ना होगा।
पटना [जेएनएन]। धार्मिक नारा लगाने और अपने बयान की वजह से सुर्खियों में आए बिहार के अल्पसंख्यक मंत्री खुर्शीद आलम की माफी अभी अधूरी है। उन्हें अब दुबारा कलमा पढ़ने के साथ ही अपनी बीवी के साथ निकाह भी दुबारा से पढ़ना होगा। सिर्फ कलमा पढ़ने से ही उनकी तौबा (प्रायश्चित) नहीं होगी। ये कहना है देश के तीन बड़े मदरसों के मुफ्तियों का।
दारुल उलूम नदवातुल उलमा, लखनऊ के मुफ्ती हसन मंसूर का कहना है कि मंत्रीजी की माफी अभी अधूरी है।उन्होंने अभी तक सिर्फ कलमा पढ़ा है। अभी उन्हें अपनी बीवी के साथ दोबारा से निकाह भी पढ़ना होगा।
दारुल उलूम देवबंद, साहरनपुर और मरकज-ए-अहले सुन्नत बरेली शरीफ के मुफ्ती मुहम्मद सलीम नूरी का भी कहना है कि मंत्री खुर्शीद आलम की द्वारा अधूरी माफी मांगने से उनके गुनाह की तौबा नहीं होगी।
दूसरी ओर ऑल इण्डिया इमाम फेडरेशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी का कहना है कि इस्लाम से खारिज होने के साथ ही एक शादीशुदा इंसान निकाह से भी खारिज हो जाता है। लिहाजा उसे इस्लाम में दाखिल होने के साथ ही निकाह से भी दोबारा से पढ़ना होगा।
ये विवाद मंत्री खुर्शीद आलम द्वारा जय श्रीराम का नारा लगाने और उनके ये कहने कि मैं रहीम के साथ राम की भी पूजा करता हूं। मस्जिद जाने के साथ ही दूसरे धार्मिक स्थलों पर भी मत्था टेकता हूं। मैं जगतगुरु शंकराचार्य के शिष्य भी हूं।
मंत्रीजी के इस बयान और नारेबाजी के साथ ही हो-हल्ला शुरु हो गया था। बिहार की इमारत-ए-शरिया के मुफ्ती सुहैल अहमद कासमी ने इस संबंध में फतवा भी जारी कर दिया था। उनका कहना था कि इस तरह से करने वाला इंसान इस्लाम से खारिज हो जाता है।
इस्लाम से खारिज हो जाने के बाद वो बीवी के साथ निकाह में भी नहीं रह जाता है। इस लिहाज से ऐसे इंसान को दोबारा से कलमा पढ़कर इस्लाम में दाखिल होना होगा। वहीं बीवी के साथ दोबारा से निकाह पढ़ना होगा।