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बड़ा खुलासा: जनशताब्दी एक्सप्रेस में सात करोड़ का सीट घोटाला, जानिए मामला

पटना से रांची और हावड़ा के लिए जाने वाली जनशताब्दी एक्सप्रेस में पिछले दस साल में सात करोड़ से अधिक के सीट घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। मामले की जांच शुऱू कर दी गई है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Thu, 03 Aug 2017 08:19 AM (IST)Updated: Thu, 03 Aug 2017 07:43 PM (IST)
बड़ा खुलासा: जनशताब्दी एक्सप्रेस में सात करोड़ का सीट घोटाला, जानिए मामला
बड़ा खुलासा: जनशताब्दी एक्सप्रेस में सात करोड़ का सीट घोटाला, जानिए मामला

पटना [चंद्रशेखर]। पटना से हावड़ा और रांची जाने वाली जनशताब्दी एक्सप्रेस में पिछले 10 वर्षों के दौरान सात करोड़ रुपये से अधिक का सीट घोटाला हुआ है। दोनों ही रैक की पांच से छह बोगियों की 50 से अधिक सीटों की बुकिंग करीब एक दशक तक नहीं हुई। मामले की जांच  शुरू कर दी गई है, हालांकि सीनियर डीसीएम विनीत कुमार ने किसी फर्जीवाड़े से इन्कार किया है।  

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जानकारी के अनुसार ट्रेन के किसी भी कोच में हाल-हाल तक 100 सीटों की ही बुकिंग हो रही थी। जबकि, किसी कोच में 104 तो किसी में 106 सीटों तक बैठने की व्यवस्था है। गलती दानापुर मंडल अथवा पूर्व मध्य रेल की नहीं है। 'क्रिस (सेंटर फॉर रेलवे इंफॉरमेशन सिस्टम्स) से कंप्यूटर में इन सीटों को डाला ही नहीं गया था। इसके कारण सौ सीटों का ही आरक्षण चार्ट निकल रहा था। 

जब दानापुर मंडल के वरीय वाणिज्य अधिकारी को इसकी भनक लगी तो उन्होंने तत्काल सभी 106 व 104 सीटों की बुकिंग करने का निर्देश दे दिया। तत्काल 'क्रिस' को इसकी सूचना दी गई। क्रिस से अब 106 नंबर तक कंप्यूटर में फीड होने लगा। 

मालूम हो कि कोचिंग कांप्लेक्स में ही सीट व कोच की पोजीशन लेने के लिए एक रेल अधिकारी की तैनाती की जाती है। उनके द्वारा भी इस घोटाले के खेल की खबर नहीं ली गई। प्रतिदिन इस ट्रेन का चार्ट निकाला जाता था जिसमें सौ सीटों तक ही बुकिंग होती थी।

हर रैक में पांच से छह कोच इस तरह के होते थे। इस तरह एक रैक में 20 से 25 सीट का खेल होता था। दोनों रैक मिलाकर अप व डाउन में 80 से 100 सीट की बुकिंग टीटीई करते थे। इसका पैसा रेलवे को नहीं मिलता था। 

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यह खेल सिटिंग कोच में ही होता था। इस तरह रेलवे को प्रतिदिन 15 से 20 हजार का नुकसान उठाना पड़ रहा था। एक दशक के दौरान यह घोटाला सात करोड़ रुपये का हो गया था। 

बताया जाता है कि प्रतिदिन टीटीई ट्रेन के चार्ट से बोगी की जांच करते थे। टिकट जांच कर प्रतिदिन चार्ट की कॉपी मुख्य टिकट निरीक्षक के पास सौंपते थे। कभी भी उनके द्वारा सीआइटी को इन अतिरिक्त बर्थ की जानकारी नहीं दी गई। एसीएम कोचिंग को भी पिछले 10 वर्षों में इसकी भनक तक नहीं लगी। 

जब नए सीनियर डीसीएम पहुंचे तो उन्हें इसकी सूचना मिली। पहले तो इसकी बुकिंग शुरू कराई गई और अब इसकी जांच शुरू कर दी गई है। हालांकि, सीनियर डीसीएम विनीत कुमार ने वर्तमान में इस तरह की बुकिंग में फर्जीवाड़े से इन्कार किया है। उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया। 


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