बंद हो गई रोजी-रोटी स्पेशल ट्रेन
मुंगेर। वर्ष 1862 से जमालपुर-किऊल और जमालपुर-भागलपुर रेलखंड पर चलने वाली श्रमिक ट्रेन मंगलव
मुंगेर। वर्ष 1862 से जमालपुर-किऊल और जमालपुर-भागलपुर रेलखंड पर चलने वाली श्रमिक ट्रेन मंगलवार को अंतिम बार सुल्तानगंज और कजरा के लिए खुली। रेलवे की नजर में यह भले ही श्रमिक ट्रेन हो, लेकिन क्षेत्र के दर्जनों गांव के हजारों की आबादी के लिए यह ट्रेन रोजी-रोटी स्पेशल ट्रेन थी। काम की तलाश में मजदूर अल सुबह श्रमिक ट्रेन पकड़ कर जमालपुर पहुंचते थे। देर शाम काम करने के बाद इसी ट्रेन से वापस लौटते थे। धरहरा, बरियारपुर, लखीसराय जिला के कजरा, अभयपुर से दर्जनों छात्र को¨चग करने के लिए श्रमिक ट्रेन से जमालपुर पहुंचते थे। ऐसे लोगों की उम्मीद श्रमिक ट्रेन बंद किए जाने की घोषणा के साथ ही दम तोड़ने लगी है। अभयपुर कसवा टोला से शंभू राय दूध लेकर श्रमिक ट्रेन से जमालपुर पहुंचते थे। जमालपुर और मुंगेर में दूध बेचने के बाद अक्सर शाम में वह श्रमिक ट्रेन से ही वापस लौटते थे। वहीं, अभयपुर से उपेंद्र राम प्रत्येक दिन सब्जी बेचने आते थे। उपेंद्र भी श्रमिक ट्रेन बंद किए जाने से दुखी हैं। राजेश मंडल, नरेश दास, विपिन बिहारी आदि ने कहा कि श्रमिक ट्रेन ऋषिकुंड हाल्ट, पाटम के साथ ही निरपुर फाटक के पास भी रुकता था। इसी कारण ग्रामीणों के लिए श्रमिक ट्रेन सबसे खास थी। धरहरा से को¨चग करने आने वाले छात्र अमरजीत ने कहा कि हमलोग श्रमिक ट्रेन से ही को¨चग पढ़ने जमालपुर जाते-आते थे। श्रमिक ट्रेन का सफर करते करते कई युवा आज सरकारी नौकरी में हैं, तो कई अब भी तैयारी कर रहे हैं। श्रमिक ट्रेन बंद किए जाने को लेकर रेलवे का अपना तर्क है। दिनोंदिन श्रमिकों की घटती संख्या को इसकी बड़ी वजह बताई जा रही है। लेकिन, श्रमिक ट्रेन बंद होने के साथ ही कितने सपने टूट गए.. उसका हिसाब लगाना शायद बहुत मुश्किल होगा।