बच्चों को बीमार बना रहा बस्ते का बोझ
गोपालगंज। कक्षा सात में पढ़ने वाला तेरह साल का सुरेश शारीरिक रूप से विकृति का शिकार हो गया है।
गोपालगंज। कक्षा सात में पढ़ने वाला तेरह साल का सुरेश शारीरिक रूप से विकृति का शिकार है। वह पिछले डेढ़ साल से कमर व पीठ में दर्द की शिकायत कर रहा था। शुरू में तो माता-पिता ने उसके दर्द को नजर अंदाज किया। लेकिन जब दर्द असहनीय हो गया तो हड्डी रोग विशेषज्ञ के पास पहुंचे। जांच में पता चला कि बच्चे की रीढ़ की हड्डी में विकृति आ गई है।
जब चिकित्सक समस्या की तह में गए तो पता चला कि इसकी वजह च्च्चे की हड्डियों में कमजोरी व भारी स्कूल बैग है। च्च्चे ने स्कूल बैग ढोने में होने वाली दिक्कत की शिकायत भी की। लेकिन किसी ने उसकी बात को गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा वह गंभीर बीमारी स्कोलियोसिस का शिकार हो गया। अब चिकित्सक ने सर्जरी की सलाह देते हुए उसे दिल्ली स्थित एम्स में रेफर कर दिया है। सुरेश तो महज एक उदाहरण है। भारी स्कूल बैग के चलते कंधे, रीढ़ की हड्डी, कमर, घुटने में दर्द व सूजन तो आम शिकायतें हैं। बस्ते का बोझ कई मासूमों को शारीरिक विकृति का शिकार बना रहा है। विशेषज्ञों के पास ऐसे च्च्चे बड़ी तादात में आ रहे हैं। वजह यह कि बस्ता लेकर मासूम न केवल चलते हैं बल्कि उसको स्कूलों में सीढ़ी पर चढ़कर अपने वर्ग कक्ष तक पहुंचना भी पड़ता है। हड्डी रोग के विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो हाल में दो-तीन वर्ष के दौरान इस तरह की समस्या च्च्चों में अधिक मिल रही है। लगातार ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। जिसमें च्च्चे कमर व कंधे में दर्द की शिकायत कर रहे हैं।
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ऐसे नुकसान पहुंचाता है भारी बस्ता
गोपालगंज : भारी बस्ते के चलच्े बच्चा ऊपरी भाग को आगे की ओर झुका कर रखता है। चिकित्सकों के अनुसार लगातार सिर आगे रहने के कारण गर्दन व पीठ में ¨खचाव अधिक रहता है। जिससे दर्द होने लगता है। भारी बस्ता कंधे के पट्टे को पीछे की ओर खींचकर रखता है। जबकि हमारा कंधा आगे व ऊपर की ओर होना चाहिए। इसलिए बोझ के चलते कंधे कमजोर व झुके हुए हो जाते हैं और उसमें ¨खचाव बढ़ जाता है।
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कुल्हे पर भी पड़ता है दुष्प्रभाव
गोपालगंज : भारी बस्ता पीछे गिरने से रोकने केच् लिए बच्चा अपने कुल्हे के ऊपर शरीर को आगे झुका कर रखता है। इससे कुल्हे में सूजन हो जाने की संभावना अधिक रहती है। अधिक बस्ते काच्बोझ बच्चे के घुटने पर भी दुष्प्रभाव डालता है।
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क्या है बचाव का तरीका
* बस्तेच्का वजन बच्चे के वजन का दस से पंद्रह प्रतिशत हो।
* बस्ता ऐसा हो जिसमें कमर पर बांधने की पट्टी हो।
* अलग-अलग खाने के बस्ते का करें उपयोग।
* बस्ता ऐसा हो जिसका कपड़ा हल्का होच्
* बस्ते व बच्चे की पीठ की दूरी कम होनी चाहिए।
* बस्च्े की लंबाई बच्चे के पीठ से अधिक न हो।
*च्बस्ते का भार बच्चे के दोनों कंधे पर बराबर हो।
* बस्ता च्ेकर चलते समय बच्चे का शरीर सीधा रहे।
* बस्ताच्लेकर चलते समय बच्चा आगे की ओर नहीं झुके।