संस्कृत विवि को केन्द्रीय विवि बनाने की पहल होगी : शाहनवाज
कामेश्वर ¨सह दरभंगा संस्कृत विवि को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की पहल होगी। यह सौभाग्य की बात है कि बिहार में एक मात्र संस्कृत विवि वह भी दरभंगा में है।
दरभंगा। कामेश्वर ¨सह दरभंगा संस्कृत विवि को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की पहल होगी। यह सौभाग्य की बात है कि बिहार में एक मात्र संस्कृत विवि वह भी दरभंगा में है। संस्कृत विवि के दरबार हॉल में आयोजित संस्कृत सप्ताह के समापन समारोह में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन ने रविवार को बतौर मुख्य अतिथि उपरोक्त बातें कही। उन्होंने कहा कि पैदा होने के वक्त से लेकर दुनिया छोडऩे के बाद तक संस्कृत भाषा काम आती है। मैथिली का महल हो या ¨हदी का सभागार निर्माण हो श्लोक तो संस्कृत के ही पढ़े जाते हैं। अगर भारत की सरकारी भाषा ¨हदी है तो संस्कृति की भाषा संस्कृत ही है। इसलिए इसका ऐसा लघु कोर्स विकसित करना चाहिए कि 15 दिनों में संस्कृत बोलने का हुनर आ जाए। अध्यक्षीय संबोधन में अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति डा. नीलिमा सिन्हा ने कहा कि शिक्षा से ही मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य बनता है। सिर्फ संस्कृत शिक्षा के माध्यम से दो तरह का लाभ संभव है। नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि केंद्र सरकार के निर्देश पर संस्कृत उत्थान के लिए जो काम हो रहा है वह सराहनीय है। संस्कृत भाषा के बल पर ही भारत की पहचान है। इस विवि की स्थापना भी इसी उद्देश्य से की गयी थी। संस्कृत के संबर्द्धन के लिए राज परिवार ने सर्वस्व त्याग दिया। उन्होंने लगे हाथ शाहनवाज हुसैन से इस विवि को गोद लेने का आग्रह करते हुए इस इकलौते संस्कृत विवि को केंद्रीय विवि का दर्जा देने की पहल करने की बात कही। आकाशवाणी दिल्ली के समाचार संपादक प्रेमचंद्र झा ने कहा कि देवभाषा संस्कृत जन भाषा बन सके इसके लिए केंद्र सरकार तत्पर है। उन्होंने कहा कि आगामी 5 वर्षों में मिथिला के किसी ग्राम को संस्कृत ग्राम बनाने का प्रयास करुंगा। इसलिए उन्होंने अपने तीनों संतानों को संस्कृत भाषा के लिए समर्पित कर दिया है। वे इस भाषा के उत्थान के लिए सर्वस्व न्यौछावर करना चाहते है। राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के राज्य उपाध्यक्ष डा. कामेश्वर झा ने कहा कि संस्कृत सप्ताह का मुख्य लक्ष्य इस भाषा का प्रचार प्रसार करना है। कुलसचिव डा. सुरेश्वर झा ने कहा कि वर्ष 2000 से संस्कृत सप्ताह मनाया जा रहा है। इसके माध्यम से देश भर में संस्कृत का प्रचार प्रसार होता है। डा. विद्येश्वर झा व डा. दयानाथ झा के क्रमश: वैदिक व लौकिक मंगलाचरण के बाद दीप प्रज्वलित कर प्रारंभ समारोह में आगत अतिथियों को पाग, चादर व माला से सम्मानित किया गया। संचालन डा. श्रीपति त्रिपाठी ने किया। मौके पर डीन डा. दिलीप कुमार झा, प्रो. शशि नाथ झा आदि मौजूद थे। संस्कृत सप्ताह के दौरान विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफल छात्रों को मौके पर पुरस्कृत किया गया।