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तीन तरह की पटरियों पर दौड़ रहीं ट्रेनें

--------------------- भागलपुर [रजनीश] उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में शनिवार को हुए ट्रेन हादसे क

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Aug 2017 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 21 Aug 2017 01:00 AM (IST)
तीन तरह की पटरियों पर दौड़ रहीं ट्रेनें
तीन तरह की पटरियों पर दौड़ रहीं ट्रेनें

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भागलपुर [रजनीश]

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में शनिवार को हुए ट्रेन हादसे के बाद रेलवे प्रबंधन ने रेल पटरियों की पेट्रोलिंग बढ़ा दी है। हालांकि मालदा मंडल के अधिकारियों का दावा है कि विभिन्न रेलखंडो की पटरियां पूरी तरह चुस्त व दुरुस्त हैं। इस रेलखंड पर हाल के महीनों में पटरी चटकने का एक भी मामला सामने नहीं आया है। ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने के लिए नवीनतम पटरियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

रेलवे अधिकारियों के अनुसार अभी साहिबगंज से अकबरनगर तक 60 किलोग्राम, अकबरनगर से बरियारपुर तक 52 किलोग्राम, रतनपुर से जमालपुर-60 किलोग्राम, जमालपुर से धनौरी 52 किलोग्राम और भागलपुर से बांका 45 किलोग्राम की पटरियां बिछाई गई हैं। मंडल में अभी तक जहां 52 किलोग्राम की पटरी लगाई जाती थी, लेकिन अब अधिकांश जगहों पर 60 किलोग्राम की रेल पटरी लगाई जा रही है। वर्तमान में मालदा मंडल में साहिबगंज से लेकर किऊल के बीच करीब 96 किलोमीटर तक 60 किलोग्राम भार के रेलवे ट्रैक लगा दिए गए हैं। वहीं 76 किलोमीटर रेलवे ट्रैक पर 52 किलोग्राम की रेल पटरी बिछी हुई है। बचे हुए किलोमीटर पर रेलवे ट्रैक की लाइफ के अनुसार बदले जा रहे हैं।

रेल अधिकारी की मानें तो मालदा मंडल में ट्रेनों की रफ्तार अधिकतम सौ किलोमीटर से ज्यादा है। कुछ जगहों पर पटरियां खराब हैं इस कारण कॉशन लगाकर ट्रेनों का परिचालन किया जाता है। दोनों किलोग्राम की पटरियों पर ट्रेन की रफ्तार में कोई अंतर है।

15 से 20 साल है पटरियों की जिंदगी

रेल पटरियों की जिंदगी ऐसे तो पंद्रह से बीस साल होती है। लेकिन जिस रेलखंड पर ज्यादा गाड़ियां गुजरती हैं उस स्थिति में पटरियों की लाइफ कम जाती है। रेल पटरियों के उम्र वजन के हिसाब से होता है। रेल अधिकारियों की मानें तो भागलपुर-किऊल रेलखंड पर अन्य रेलखंड की अपेक्षा कम है। इस कारण यहां पटरियां लाइफ पूरा करने पर ही बदली जाती हैं। बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि मेन लाइन होने की वजह से ग्रैंड-कॉर्ड और हावड़ा-दिल्ली मार्ग पर ट्रेनों की संख्या ज्यादा इस कारण यहां पटरियां पहले ही बदल दिए जाते हैं।

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कोट

मालदा मंडल में ट्रेनों की रफ्तार में किसी तरह की दिक्कत नहीं है। साहिबगंज से लेकर किऊल तक पटरियां पूरी तरह ठीक हैं। पहले 52 किलोग्राम की रेल पटरी होती थी। 60 किलोग्राम नवीनतम है। सौ से अधिक रफ्तार से गाड़ियां चल रही हैं।

-बीके साहू, एडीआरएम, मालदा मंडल


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