अतीत को यादकर ही स्वर्णिम भविष्य की कामना : बीडीओ
भारत क्रांति की गंगोत्री है। यहां अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ चलाए गए आंदोलन में भुमिका ।
बेगूसराय । भारत क्रांति की गंगोत्री है। यहां अंग्रेजों की गुलामी के खिलाफ चलाए गए आंदोलन में महात्मा गांधी के पक्षधर सत्य अ¨हसा की लड़ाई लड़ रहे थे। वहीं क्रांतिकारी गुट अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध कर रहे थे। उक्त बातें गढ़पुरा नमक सत्याग्रह स्थल पर आयोजित 87वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शुक्रवार को बीडीओ सुदामा प्रसाद ¨सह ने कहीं। उन्होंने कहा, सत्य अ¨हसा की लड़ाई 1817 में पंडित राजकुमार शुक्ल के द्वारा महात्मा गांधी को आमंत्रित कर की थी। इसके बाद महात्मा गांधी ने 1930 में आंदोलन किए जाने का आह्वान किया था। जिसमें अंग्रेजों के खिलाफ नमक आंदोलन किए जाने का निर्णय लिया गया। इसके तहत 20 अप्रैल 1930 को गढ़पुरा की धरती पर डॉक्टर श्रीकृष्ण ¨सह के नेतृत्व में नमक सत्याग्रह आंदोलन किया गया। चंपारण का सत्याग्रह आंदोलन हो या नमक सत्याग्रह आंदोलन, आंदोलनकारी महात्मा गांधी के सत्य अ¨हसा की लड़ाई अंग्रेजों के खिलाफ लड़ी थी। जिसमें सैकड़ों की संख्या में लोग मारे भी गए थे। आज उस गौरवशाली अतीत को याद किया जा रहा है। जब तक हम अतीत को याद नहीं करेंगे। तब तक स्वर्णिम भविष्य की कामना नहीं कर सकते हैं।
सत्याग्रह आंदोलन की याद को जन जन तक पहुंचाने का हुआ काम :
गढ़पुरा नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति के संस्थापक एवं राष्ट्रीय महासचिव राजीव कुमार ने कहा, डॉ. श्रीकृष्ण ¨सह की इस धरती से सत्याग्रह आंदोलन की याद को जन जन तक पहुंचाने का काम किया है। दांडी नमन यात्रा के लिए चंपारण के लाल पंडित राजकुमार शुक्ल की मिट्टी को नमन करते दांडी तक रथ यात्रा की गई। इस दौरान यह नमन यात्रा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र प्रांत में डॉक्टर श्रीकृष्ण ¨सह के साथ पंडित राज कुमार शुक्ल के गौरव गाथा के बारे में जन जन तक पहुंचाने का काम किया है।
अतिथियों को भेंट की गई समृति चिह्न
नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति के द्वारा अतिथियों को कार्यक्रम के दौरान स्मृति चिह्न भेंट की। जिसे समिति के द्वारा गढ़पुरा के बीडीओ सुदामा प्रसाद ¨सह, महेश भारती एवं स्थानीय पत्रकारों को सम्मान स्वरूप दिया गया। इसके साथ ही पंडित राजकुमार शुक्ल के आदर्शों के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई।
स्थापित किया गया स्मृति कलश
गढ़पुरा नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति के दांडी नमन यात्रा से लाए गए स्मृति कलश को सत्याग्रह स्थल पर स्थापित किया गया। वहीं स्मृति कलश के बारे में विस्तार पूर्वक बताया भी गया। कलश दांडी की मिट्टी भरे तो थे ही। उसे खादी के तिरंगा से लपेटा गया था तथा उसे गांधी के चरखे से बनाए गए धागे से बांधा गया था। यह स्मृति कलश दांडी के संचालकों द्वारा गढ़पुरा नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति को एक यादगार के रूप में भेंट स्वरुप दिया गया।
अतिथि को चंदन बंधन से किया स्वागत
भारतीय सभ्यता संस्कृति के मुताबिक नमक सत्याग्रह स्थल के 87वें वर्षगांठ पर आयोजित इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए सभी अतिथियों को सबसे पहले स्वागत चंदन वंदन के साथ किया गया। इस मौके पर छात्राओं ने अतिथियों के लिए स्वागत गान भी किया।वहीं संस्था के सदस्य कुमार संजीव ने कई देशभक्ति गीत प्रस्तुत कर दर्शकों का मन मोह लिया।
समिति के सदस्यों ने लिया संकल्प
गढ़पुरा नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति के सदस्यों ने दांडी यात्रा से लौटे राष्ट्रीय महासचिव राजीव कुमार के अलावा उनके साथ नमन यात्रा के सदस्य अमित कुमार, रमेश महतो, मुकेश कुमार विक्रम उपेंद्र पासवान, योगेंद्र महतो तथा स्थानीय कार्यकर्ताओं ने प्रत्येक वर्ष छह अप्रैल को दांडी के वर्षगांठ पर भाग लेने का निर्णय लिया है। वहीं चंपारण भितिहरवा के सत्याग्रह के नायक पंडित राजकुमार शुक्ल की आदमकद प्रतिमा को दांडी में लगाए जाने के अभियान को अंजाम तक पहुंचाने का लिए गए संकल्प को दोहराया।
नमक सत्याग्रह के 87वां वर्षगांठ के आयोजक मंडल में गढ़पुरा नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति के अध्यक्ष मथुरा सहनी, कोषाध्यक्ष सुशील कुमार ¨सघानिया, संयोजक एसी झा, रमेश महतो, डोमन महतो, योगेंद्र महतो, एच. रहमान, ऋषि कुमार आदि मौजूद थे।